कमरे का दरवाजा खोलते ही सुनंदा के होश उड़ गये थे ।
” श्रुति..! श्रुति तो सो रही है ! फिर वो बच्चे की रोने की रोने की आवाज कहां से आ रही थी । कहीं ये मेरा भ्रम तो नहीं ! “

सुनंदा के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी । वो सच और भ्रम को समझने की कोशिश कर रही थी कि अचानक !

” खड़..खड़…खड़…! बर्तनों के गिरने की आवाज ! अभी तो मैं सभी बर्तनों को सही से रख कर आई थी । ” 
सुनंदा की आंखे डर से सिकुड़ गयी थी । लेकिन जब उसने रसोई कमरे में जाकर देखा तो दहशत से उसके पैर वहीं जम चुके थे ।

” पानी का मटका अपने आप कैसे टूट गया ! अचानक सुनंदा की नजर दीवार पर पड़ी तो उसके रोंगटे खड़े हो गये । तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा ।

” आ…आ…!! ”  दहशत से सुनंदा ने अपनी आंखें बंद कर ली और चीख पड़ी ।

” सुनंदा क्या हुआ तुम इस तरह चीख क्यों रही हो ! ” रमेश सुनंदा को घबराते देखकर उसे संभालते हुए कहने लगा ।

सुनंदा रोते हुए : ” रमेश तुम्हारे जाने के बाद से ही , यहां कुछ अजीब चीजें हो रही है । “

सुनंदा ,  रमेश को अब तक की घटनाएं बताने लगी । जिससे सुनकर रमेश थोड़ा परेशान जरूर हुआ पर वो सुनंदा को समझाने लगा ।
 
रमेश : ” वो पानी का मटका पुराना हो गया था और हो सकता है यहां लाते वक्त उसमें दरार आ गयी होगी और जब तुमने पानी भरा होगा तो मटका चटक कर  फूट गया होगा । अब तुम ज्यादा मत सोचो , तुम जाओ और ये खाना निकालकर परोसो तब तक मैं इसे साफ कर देता हूं । “

रमेश ने सुनंदा के कंधे को थपथपाते हुए कहा और पोंछा कपड़ा लेकर सफाई में जुट गया । सुनंदा परेशान सी रमेश को देखती हुई जाने लगी की दोबारा उसने दीवार पर देखने लगी । पैर से बना निशान अब सुनंदा के देखते ही देखते गायब होने लगा था । जिसे देखकर उसकी बची खुची हिम्मत भी जवाब दे गई ।

” तुम खाना क्यूं नहीं खा रही हो ! सुबह काम करके लोगों को भूख लगती है और तुम्हारी भूख घट जाती है । ” रमेश हंसते हुए कहने लगा ।

” मुझे बिल्कुल भूख नहीं है रमेश , तुम खा लो मुझसे खाया नहीं जा रहा  ‌। ” सुनंदा उठते हुए कहने लगी ।

” सुनंदा मेरी बात सुनो ! आज भागदौड़ भरा दिन था । हो सकता है थकावट की वजह से तुम्हें ऐसा भ्रम हो रहा हो !  ” रमेश , सुनंदा को समझाने लगा ।

सुनंदा : ” पर ये मेरा भ्रम नहीं है रमेश ! मैं कैसे समझाऊं की इस घर में कुछ तो ऐसा है जो ठीक नहीं है । “

रमेश : ” सुनंदा सुनो मेरी बात , खुद के घर का सपना ये तुम्हारा था ना ! जब हमें हमारी कीमत पर इतना बड़ा और अच्छा घर मिला है तो प्लीज़ तुम किसी अंधविश्वास और भ्रम के चलते इस घर को छोड़ने का मन मत बना लेना ! क्योंकि अब मैं ये घर नहीं छोड़ सकता । अगर हमने ये घर छोड़ दिया तो हमारी फाइनेंशली हालत बहुत खराब हो जायेगी । “


” मैं आपको घर छोड़ने के लिए नहीं कह रही हूं रमेश , लेकिन क्या हम इस घर में शुद्धिकरण के लिए पूजा तो करवा ही सकते हैं ना ! ” सुनंदा सोचते हुए कहने लगी ।

रमेश : ” ये भी कोई कहने की बात है , कल मैं आफिस से छुट्टी ले लूंगा और घर को जमाने में तुम्हारी मदद कर दूंगा । उसके अगले दिन हम घर में एक छोटी सी पूजा करवा लेंगे  ठीक है ना ! “

रमेश के कहने पर सुनंदा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई । वही कमरे से कुछ दूरी पर अंधेरे में एक दहकती हुई लाल आंखें रमेश और सुनंदा को घूर रही थी ।

क्रमश:

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