बतबा जे पूछेला ई माई के करेजवा हो,

कहअ बबुआ बचपन तोह संग कौनो गलती कईनी हो,

जबान भके काहे हमके इतना सतईलह हो ,

जीते जी न कबो हमसे बतिया तु कईलह हो,

कनिया के कहला पे तु घरबो से निकाल दिहलह हो।

खूनवा जलाई हमह दुधवा पिलाइनि ,

दुधवा पिलाई तोहके स्यान हमह कईनी ,

फिर काहे पिएके हमके पनियो न दिहलह हो ,

मेहरारू के बतबा पर हथबो उठाइलह हो ,

कौने गलती के ई सजा तु  हमके दिहलह हो ,

लागताह बचपने दिनमा तु भुला गईलह हो,

इहे खातिर स्यान भके दुखवा तु दिहलह हो।

कोसेली जे एगो माई आपन भाग्या के,

कौने करम के प्रभु पापे हमके दिहलह हो ,

मारलो पर बेटवा हाथे पनियों न पीयनि हो ,

न आत्मा जुडाइल हमके न मनवा जुडाइल हो,

ये दुःख से हम शरीर त्याग दिहनी हो।

गौरी तिवारी भागलपुर बिहार

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Gouri tiwari

By Gouri tiwari

I am student as well as a writer

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