अब चीजें कुछ गुम नहीं होती ,
सम्भाल के रखते है ,
लगता है अब बड़े हो गए,
अब हर बात पर जिद नही करते
जो मिलता है अपना लेते,
अब रात को अकेले मे डर नही लगता,
कोई रहे या न रहे फर्क नहीं पड़ता,
अब चोट भी लगे तो किसी से बताते नही,
अपने आंसू किसी को दिखाते भी नही,
सपनो कि दुनिया को छोड़कर,
हकिकत मे जीने लगे,
जीम्मेदारीयां भी उठाने लगे,
लगता है अब बड़े हो गए l
प्रिती उपाध्याय@