बचपन की दोस्ती कैसे पीछे रह गई….
बातें वो पुरानी न जाने कहा खो गई….
न जाने कहां छूट गया वो बचपन हमारा
वो कागज़ की कश्ती और बारिश का पानी…..
न जाने कहां छूट गया वो बचपन हमारा
वो दादाजी की सीख और दादीजी की लम्बी कहानी….
बचपन की दोस्ती कैसे पीछे रह गई….
वो मासूम सी शैतानियां न जाने कहां छूट गई….
दोस्ती हमारी कही किसी
मोड़ पर जाकर छूट गई होगी….
शायद वो हम से किसी
बात पर रूठ गई होगी….
बचपन की दोस्ती कैसे पीछे रह गई….
बातें वो पुरानी न जाने कहां खो गई….
आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित रचना।