बचपन का घर अच्छा था

घर छोटा था पर अच्छा था
रिश्तों की भीड़ लगी रहती थी
समय की कोई कमी नहीं थी
मस्ती भरी हमजोली थी
लगता सब अपना था
बचपन का घर अच्छा था
सतरंगी आसमान में 
तितली बन कर उड़ते थे
छोटे सपनों को जीते थे
लगता सब सच्चा था
बचपन का घर अच्छा था… ऋचा कर्ण ✍️
    
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