आम के पेड़ में देखो बौर लगे,
छोटे-छोटे टिकोरे भी तो लगे।
बढ़ेंगे धीरे-धीरे एक-एक आम,
गुच्छों में लगते ये हरे-हरे आम।
आम से लदे पेड़ ये झुक जाते,
राही,बच्चे सभी देख हैं हर्षाते।
पुदीना-आम की चटनी बनेगी,
जलजीरा अचार खटाई बनेगी।
तोता मैना चिड़ियां भी चखती,
पेड़ों से ही पक  सींकर गिरती।
पेड़ की पकी सींकर है मिलती,
बच्चों हम सब को भी मिलती।
पाल आम के खुब डाले जाते,
बाजारों में आम ही भर जाते।
पक्के-पक्के पीले-पीले आम,
अमीर गरीब सब खायें आम।
मीठे बहुत ये स्वादिस्ट हैं आम,
लंगड़ा,चौसा एवं सफेदा नाम।
दशहरी,आम्रपाली, तोतापारी,
सिंधोरी,नीलम,फजली आम।
देशी,भदइँ,बहेरी बम्बइया नाम,
अनेकों प्रकार के होते हैं आम।
गुड़म्मा बनायें अमावट भी डारें,
नमकीन,मीठा पना बनाये आम।
खाने चूसने में अच्छा भी लगता,
दो रोटी ज्यादा ही खवाये आम।
सभी फलों का ये होता है राजा,
छोटे बड़े सभी को हर्षाये आम।
बच्चों ये आम रसीले खुब खाना,
शरीर बढ़ाये स्वस्थ्य बनाये आम।
रचियता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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