कठिन परिश्रम रंग ले आती
इसका है कोई तोड़ नहीं।
प्रो.नीना गुप्ता जी ने कर दिखाया,
परिश्रम व्यर्थ कभी जाता नहीं।।
रामानुजम पुरस्कार को पाकर,
देश का नाम बढ़ाया है।
युवा गणितज्ञ ने इस विधा में,
अभूतपूर्व पहचान बनाया है।।
कलकत्ता में पली – बढ़ीं
जन्म को अपने सार्थक किया।
कर्मभूमि भी यहीं बनाया,
सतत कर्म अविराम किया।।
शिक्षा पूरी कर गृह नगर में,
शोधकार्य का लक्ष्य चुना।
कार्यरत वे अभी यहीं पर,
गणित शोध का विषय चुना।।
अलजेब्रिक जियोमेट्रो और
कम्यूटेटिव अल्जेब्रा में,
किया शानदार कार्य नीना ने।
मेहनत से कभी पीछे हटी नहीं,
पाया उसका प्रतिफल नीना ने।।
शांतिस्वरूप भटनागर और
यंग साइंटिस्ट पुरस्कार,
उन्हें मिल चुका इससे पहले।
प्रो.नीना गुप्ता छा गई नभ
पर प्रसिद्धि के पूरे जग के।।
प्रतिभा की कोई कमी नहीं है,
देश की इन ललनाओं में।
ज़रूरत है खुला आसमान मिले,
उन्मुक्त हो जाएँ वे वर्जनाओं से।।
स्नेहलता पाण्डेय ‘स्नेह’