मेरे जीवन की प्रेरणा स्रोत है आपका आशीर्वाद!
हर पल राह दिखाई सच्ची,हर पल साथ तुम्हारा था!
जब-जब मैं कमजोर पड़ी,सीख-प्यार तुम्हारा था!
संस्कार और मर्यादा से नित्य सींच आपने बड़ा किया!
आत्म सम्मान और आत्म विश्वास का ज्ञानवर्धन तुम्हारा था!
प्रेरणा स्रोत तुम्हीं हो जिन्होंने आत्म नियंत्रण सिखलाया!
बचपन से ही हाथ पकड़कर चलना मुझको सिखलाया!
बेटी जिसका धन हो,धन्य ऐसे पिता को पाकर मैं हूँ!
मान-गर्व-स्वाभिमान से सिर उठाकर चलने की प्रेरणा दी!
बचपन से ही मेरे नायक ,मेरे आदर्श का साकार रूप!
ईमानदारी से जीवन जीने का गुर तुमने ही तो सिखलाया!
कभी कमजोर पड़ी तो हौसला तुमसे ही पाया!
वट-वृक्ष से सुदृढ़ पिता ,धन्य हुई पाकर तुमको!
वचन दिया था नेक राह पर बढ़ रही हूँ,प्रेरणा तुम्हारी पाकर !
मन में दृढ़ संकल्प संग ,इच्छाशक्ति मजबूत है!
—-‘अनिता शर्मा झाँसी
—-मौलिक रचना