हृदय में मेरे हैं इतने प्रेम उदगार,
तेरे लिए मेरे प्रियतम हर बार,
पर कैसे अपनी कहानी बताऊं,
काश! कोई प्रेम की निशानी सजाऊं।
दुनियादारी के इतने लगे हैं पहरे,
दिल में प्यार फिर भी हैं गहरे,
कैसे तुमसे अपनी ये पीड़ा छुपाऊं,
काश! कोई प्रेम की निशानी सजाऊं।
माना तन से तुम मेरे पास नहीं,
तुमको ऐसे पाने की आस नहीं,
बिछुड़न को कैसे अब सह पाऊं,
काश! कोई प्रेम की निशानी सजाऊं।
रहना चाहे तुम कितनी भी दूर,
परिस्थितियों में बेशक मजबूर,
दिल की बात फिर कैसे पहुचाऊं,
काश! कोई प्रेम की निशानी सजाऊं।
पूजा पीहू
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