जब मिलते हैं “दो दिल”
खो जाते हैं एक दूजे में 
नजरों में होते इज़हार
बातें होती इशारों में ।।
प्यार का कर इज़हार
कबूल करते इश्क को
कसमें वादे बातें होती
सब कुछ समझते इश्क को ।।
डूबे दो दिल इश्क में
देते प्रेम की निशानियां
प्यार भरे उपहारों में
बुनते प्रेम की कहानियां ।।
प्रेम जब सच्चा होता 
कुदरत भी देता साथ
संग हो जाते दो दिल 
लिए एक – दूजे का हाथ ।।
याद करते अल्हड़ इश्क को
बन गए दो दिल “हमसफर”
संजोए “प्रेम की निशानी”
संग चले जो जीवनभर ।।
              मनीषा ठाकुर (कर्नाटक)
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