तू नही है मग़र बाक़ी हैं निशान आज भी तेरे प्यार के !
टूटे हुये दिल को समेट कर रखा है आज भी हमनें!
बहते हुये अश्कों से आज भी तू छलकता है !
तेरी यादों के अम्बार आज़ भी हैं मेरे ज़ेहन में !
लबों पर आज भी तेरे बोसे की चुभन सी लगती है  !
ये निशान ता उम्र मिट नही
 सकते  !
इन्ही के सहारे तो हम मर मर कर जी रहे !!
तेरी प्रेम की इन निशानियों को हम बड़े सम्भाल कर रखें हैं ।
हुमा अंसारी
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