हर प्रेम कहानी में इक जोड़ा होता है।
कभी दोंनो उड़ते हैं,कभी दोंनो चलते हैं। 
दिल के उठते ग़ुबार बस बाँटते रहते हैं। 
आने वाले दिनों के खूब सपने संजोते हैं। 
कभी दोंनो रोते हैं,कभी दोंनो हँसते हैं। 
मिल-जुलकर चलने की हर आस जुटाते हैं। 
इक गिर भी जाए तो दूजा उसे उठाता है।
ख्वाबों के पुल जो टूटें, फिर उन्हें बनाते हैं। 
प्रेम की ताकत ही है, जो तिक्त भी मीठा लगता।
अनसुलझी बातें भी सुलझ ही जाती हैं। 
जब एक अकड़ता है,दूजा झुक जाता है।
एक जो रूठा हो,दूजा उसे मनाता है।
इक दूजे बिन पलभर चैन न पड़ती है।
इक पल दूर भी हो जाएं दूजे पल गले लगाते हैं। 
दुःख भी सुख हो जाते,जब संग-साथ वो रहते हैं। 
अपनी प्रेम कहानी को जग में अमर कर जाते हैं। 
              रचयिता —
                सुषमा श्रीवास्तव 
                  मौलिक कृति
  
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