प्रायश्चित तो निदान है अपने,
पापों को धोने का।
प्रायश्चित तो समाधान है अपने,
धर्म को नहीं खोने का।
अगर प्रायश्चित संभव नहीं तो,
पश्चाताप तो कर सकते हैं।
अगर पछतावा नहीं अधर्म का,
तो कैसे सज्जन बन सकते हैं।
भूल-चूक अगर हो गई हो तो,
एकमात्र निदान है प्रायश्चित।
मल-मलके मैल हटानेवाला,
मानों कोई साबुन है प्रायश्चित।
         -चेतना सिंह,पूर्वी चंपारण
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *