एक तेरा ही भरोसा है,
प्रभु तुम मिलने आओ।
तेरे इंसां ने जो परोसा है,
प्रभु उसे परखने आओ।
जिसे देखो दंभ में डूबा,
प्रभु सबक सिखाने आओ।
नन्हें बालों पर होता जुल्म,
प्रभु उसे विराम देने आओ।
कहीं बेबस रोती हुई अबला,
प्रभु उसे सबला बनाने आओ।
सबूत नहीं जिसे बेगुनाही का,
उसकी सच्चाई सामने लाओ।
पापी दिखाता खुद को धर्मी,
प्रभु पर्दाफाश करने आओ।
– चेतना सिंह,पूर्वी चंपारण