विकास की अंधी दौड़ में,
हरियाली कहती है
उद्योगों की आंधी में
वाहनों की चहलकदमी में
जनसंख्या के रहने में
आकर्षण के अंधियारे में
मैंने अपना सब कुछ खोये है
कौन है पाप बीज बोया है
पौधा बनकर कतारों में सजती
पुष्प बनकर खुशबू फैलाती है
पत्तियाँ बनकर प्राणो की रक्षा करती है
फल बनकर सबको रस चखाती है
बीज बनकर बजारो में बिक जाती हूहूँ
मैं खेतों की बाड़ी बन जाती हूँ
मैं रक्षक तू भक्षक बन बैठा है
पौधों की रखवाली से तू समझोता कर बैठा है
मिल कर कसम ये खाते है ,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाते हैं,
आओ अधिक से अधिक पौधे लगाते है,
प्रदूषण को दूर भगाते है,
मानव तुमने अपनी जरूरत की ये खातिर,
वातावरण को तुमनें दुषित किया है,
पर्यावरण ने तुझे सबकुछ दिया है,
वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं
आओ कसम ये खाते है
रंजना झा