चिलचिलाती धूप में तालाब पोखर सब सूख गए।
बूँद -बूँद पानी के लिए व्याकुल पंक्षी प्यासे मरे जाए।
पानी की तलाश मे पिपासु पंक्षी इतउत चक्षु दौड़ाए।
कहीं एक बूँद पानी टपकता देख चेहरे पर खुशी छा जाए।
प्यासे पंक्षी पानी की लालियत में हर संभव जतन करते जाए।
नल पर चोंच लगाकर प्यास बुझाने के लिए फड़फड़ाए।
चीं -चीं करके, अपने प्यासे साथियों को आवाज लगाए।
संघर्ष करके एक बूँद पानी पीकर खुद को ढाढस बंधाएँ।
हे मानव तुम्हें मानुष जीवन मिला थोड़ा सत्कर्म भी करते जाए।
भूखे प्यासे पंक्षियों के लिए दाना पानी का इंतजाम कर मानवता निभाए।
शिल्पा मोदी