माँ की बात निराली है इस दुनिया में,
माँ ईश्वर का दिया अनुपम उपहार है।
माँ के हृदय में भरा हुआ जो प्यार है,
माँ की ममता के आगे सब बेकार है।
माँ ही जग में एक है ऐसी प्रेमी प्राणी,
माँ के लव पर बच्चे की बसती वाणी।
माँ से ही कहते हैं बच्चे जो भूखे होते,
माँ ही उनकी भूख मिटाती जब रोते।
माँ को बच्चे से ज्यादा कुछ ना प्यारा,
माँ का होता है हर बच्चा राज दुलारा।
माँ छाती लगा शिशु को दूध पिलाती,
माँ गोदी में लेकर बच्चे को खिलाती।
माँ बनने से वैवाहिक गौरव है बढ़ता,
माँ की गोदी भर जाये ममता बढ़ता।
माँ ही होती है ये शिशु का फ़िक्र करे,
माँ शिशु के हर चीजों की ज़िक्र करे।
माँ को कष्ट है होता जब बच्चा रोता,
माँ सुख पाती है जब शिशु ना रोता।
माँ का दर्जा विश्व में सब से सर्वश्रेष्ठ,
माँ की यह ममता भी दुनिया में श्रेष्ठ।
माँ का रिश्ता सब रिश्तों से अनमोल,
माँ को ऐसी नहीं तुला सके जो तोल।
माँ तो माँ होती है सदा रहेगी दिल में,
माँ जननी है रोम रोम तिल तिल में।
माँ दुर्गा है माँ धरती है माँ ही है भारत,
माँ सृष्टि है माँ पालक माँ गंगा तारक।
माँ के बिना होता है हर घर सूना सूना,
माँ के रहने से खुशियाँ हो जाती दूना।
माँ के बिना है सारा घर संसार अधूरा,
माँ की शिक्षा बिन ये व्यक्तित्व अधूरा।
माँ को कभी भी अपने करना ना दुःखी,
माँ ही है जो दुःख में भी हमें रखे सुखी।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.