मनुष्य कुछ प्रश्नों को अकेले ही हल करना चाहता है। उसके लिये वह एकांत चाहता है। पर वास्तव में जिन प्रश्नों को वह अकेला हल करने की कोशिश कर रहा होता है, वे अकेले कभी हल नहीं होते। जिंदगी में एक सच्चे दोस्त की भूमिका भी यही है। सच्चा दोस्त इंसान के जज्बातों को खुद में महसूस करता है। और फिर उसी तरह लग जाता है कि जैसे वह खुद उसके जीवन का प्रश्न है। अर्जुन की सफलता में कृष्ण का बङा हाथ था। कर्ण ने तो दोस्ती के लिये अपना जीवन ही त्याग दिया। राम और लक्ष्मण का रिश्ता भी भाई के साथ साथ मित्रता का भी था। 
  
रोहन को गायब देखकर महेश चिंता में पङ गया। जब से रोहन और महेश इंजीनियरिंग करने आये हैं, हमेशा साथ रहते आये हैं। छुट्टियों में जब दोनों घर जाते, उसे छोङकर हमेशा साथ साथ रहते। दोनों साथ साथ बाजार जाते। साथ साथ घूमने निकलते। पर आज जोङी का एक सदस्य दूसरे को बिना बताये कहीं चला गया।यह अप्रत्याशित घटना थी। 
   रोहन जब वापस आया तब तक प्रयोगशाला के खाली पीरियड्स के अलावा एक और लैक्चर निकल चुका था। कालेज की छुट्टी हो गयी और बच्चे अपने घर या छात्रावास के लिये निकल चुके थे। 
  ” अरे रोहन। कहाॅ चला गया था। इतना इंपोर्टेंट लैक्चर मिस कर दिया।” 
  रोहन को देख महेश भागा आया। वैसे कोई लैक्चर मिस करे तो दूसरे को क्या फर्क पङता है। पर महेश के लिये रोहन दूसरा कहाॅ था। दोनों के मध्य सगे भाइयों से भी बढकर प्रेम था। 
   रोहन उदास मन से चला आ रहा था। आखिर जिस प्रश्न का हल जानना चाहता था, उसके हल के इतना करीब पहुंचकर वापस लौट आना उसे अब अखर रहा था। जब पल्लवी मुझे उस लङकी से मिलाने बाली थी तो मुझे इंतजार करना चाहिये था। अब पल्लवी भी गलत सोच रही होगी। दुबारा उसके सामने भी कैसे जा पाऊंगा। अब प्रश्न हमेशा के लिये अनुत्तरित रह जायेगा। 
   ” अरे बहरा हो गया है क्या। मैं इतनी देर से कुछ बोल रहा हूं। क्या तुझे सुनाई नहीं दे रहा।” 
  अब रोहन की तृन्दा टूटी। मन के भावों को छिपाने की कोशिश करने लगा पर छिपा नहीं पाया। फिर महेश को सच बताने की सोचने लगा। आखिर महेश तो उसका बेस्ट फ्रेंड है। और बेस्ट फ्रेंड से क्या छिपाना। 
  ” महेश। तुझे सब सच बताऊंगा। पहले हास्टल में चलते हैं। “
  दोनों दोस्त हास्टल में अपने कमरे में चले गये। आज दोनों ने मैस में चाय भी नहीं पी। नहीं तो पहले चाय पीकर फिर कमरे में जाते थे। 
    रोहन ने सब बताना शुरू किया। सपनों से शुरुआत करके, किस तरह लङकी की पेंटिंग में वे सारे सपने चित्रित थे, सारी बातें। महेश को सब कुछ तिलस्मी कहानियों जैसा लग रहा था। 
   दूसरे दिन महेश क्लास रूम से नदारद था। रोहन उसे तलाशता रहा। पर महेश कालेज में हो तो मिले। 
……………. 
  रंजना की सच्चाई जानकर पल्लवी उसका विभिन्न तरीकों से विश्लेषण करने लगी। कई पुनर्जन्म की प्रेम कहानियां उसने पढीं थीं। उसके विचार में रोहन और रंजना का जन्मों का नाता है। कल रोहन रंजना से मिलने आया भी था। सचमुच प्रेम हमेशा अपने प्रेम को पहचान लेता है। फिर रुकी हुई प्रेम कहानी फिर से शुरू हो जाती है। 
   इंजीनियरिंग कालेज में जाकर रोहन को आसानी से ढूंढा जा सकता है। पर क्या यह उचित रहेगा। लङकियों को अनेकों तरीकों से सोचना होता है। फिर पल्लवी और रंजना अपने ही शहर के कालेज में पढ रहीं थीं। बाहर के शहरों के छात्र जो छात्रावास में रहकर पढाई कर रहे हों, को लोकल में कोई नहीं जानता है। वे कहीं भी जायें, किसी को पता नहीं चलता। पर लोकल छात्रों और विशेषकर लङकियों को तो समस्या है। 
   पल्लवी यही सोच रही थी कि रोहन से कैसे मिला जाये कि अचानक उसने महेश को कालेज में देखा। इस बार वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। तुरंत रंजना के कान में उसने कुछ कहा। पर समस्या थी कि जब तक लेक्चरर क्लास में है, वे बाहर नहीं जा सकती थीं। दोनों ईश्वर से प्रार्थना कर रही थीं कि लैक्चर खत्म होने तक महेश बाहर ही रहे। 
   लैक्चर खत्म होने ही रंजना और पल्लवी दोनों ही बाहर भागीं। पर अब महेश कहीं नजर नहीं आ रहा। इतनी जल्दी कहाॅ चला गया। कहीं कल की तरह आज भी कुछ हाथ नहीं आयेगा। 
  महेश को कालेज की जानकारी तो थी नहीं। उसे क्या पता कि पल्लवी और रंजना की क्लास कहाँ है। वह तो संभावित जगहों पर उन्हें तलाश रहा था। थोङी देर पहले तक वह उन्हीं की क्लास के पास था पर अब वह दूसरी जगहों पर घूम रहा था। पल्लवी को भी लगा कि महेश अभी मिल सकता है। और ढूंढते ढूंढते वे एक दूसरे को मिल गये। ठीक कैंटीन के सामने। 
  ” बहुत देर से आपको तलाश रहे हैं। अब आप मिले।” 
  यह बात यकायक तीनों के मुख से निकली। फिर संयोग देख तीनों मुस्करा दिये। 
   कैंटीन की एक खाली मेज पर तीनों बैठकर चाय पीने लगे। बातों का आदान प्रदान हुआ। कुछ बातों को उन्होंने बहुत धीमे स्वर में कहा। 
   रंजना के अनुसार पेंटिग की युवती की शक्ल खुद उससे और युवक की शक्ल रोहन से मिलती है। रोहन के अनुसार उसके स्वप्न के ही दृश्य पेंटिग में हैं। स्वप्न के अनुसार दोनों पति और पत्नी हैं। तथा एक बार दोनों घायल अवस्था में थे। सभी पाठको तरह पल्लवी और महेश भी इन बातों को पुनर्जन्म से जोङने लगे। पर बिना पेंटिग दुबारा से देखे कुछ भी कह नहीं सकते। फिर तीनों ने एक बार फिर से मिलने का विचार किया। इस बार वे काफी कैफे पर मिलेंगे। महेश ने वायदा किया कि वह रोहन को भी लेकर आयेगा। अक्सर पुरानी बातों के तार जोङते जोङते दिल के तार भी जुङ जाते हैं। इस कहानी में देखना है किसके दिल के तार किसकेदिल से जुङेंगें।दोनों के घायल होने का रहस्य अभी भी अज्ञात है। 
क्रमशः अगले भाग में….
दिवा शंकर सारस्वत ‘प्रशांत’
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