रविश और सरला जी रिचा को अपने घर में देखकर अवाक हो जाते है । स्वाति , रवि और नेहा से रिचा को गेस्ट रूम में ले जाने को कहती हैं ।रिचा के जाते ही , रविश स्वाति की ओर मुड़ कर उस से कुछ कहते , उससे पहले ही स्वाति ने धीरे से सब बताना शुरू किया ।
स्वाति – मां हम सब गार्डन घूमकर रेस्टोरेंट से खाना खाकर निकल ही थे कि रेस्टोंरेट के बाहर आइसक्रीम देखकर शिवांश ने आइसक्रीम खाने की ज़िद करने लगा । हम सभी आइसक्रीम खा रहे थे कि अचानक एक कार हमारे सामने से इन्हें टक्कर मारते हुए । आगे बढ़ गई और इन्हें वहीं बेहोश छोड़कर आगे बढ़ गई । वहां सड़क पर खड़े किसी इंसान ने इनकी मदद नहीं की और मैं इन्हें ऐसे सड़क पर मरता छोड़ कर नहीं आ सकती थी । स्वाति रविश की तरफ देखते हुए – और इतनी रात गए हास्पिटल ले जाने का फैसला मेरा था । इसमें नेहा या पीहू की कोई गलती नहीं है ।
मैंने कहा भी नेहा को की सब घर चलें जायें । लेकिन नेहा और पीहू ने मेरी बात नहीं मानी । स्वाति हाथ जोड़कर – मुझे माफ़ कर दीजिए आगे से बिना आपसे पूछे ऐसा कोई काम नहीं जिससे आपको तकलीफ हो । बोलते हुए स्वाति की आंखें भर आती है ।
सरला जी , रविश की तरफ देखते हुए , स्वाति को गले से लगा लेती हैं ।
सरला जी – स्वाति , बेटा मुझे नेहा , पीहू के साथ – साथ तुम्हारी और शिवु की भी फिक्र हो रही थी । सरला जी स्वाति के आंसू पोंछते हुए । तुमने कोई ग़लत काम नहीं किया है कि जिसके कारण मैं तुम्हें डांटू पहले तो तुम अपने आंसू पोंछो ।
रविश जाओ बेटा स्वाति को और शिवांश को अपने कमरे में ले जाओ बहुत रात हो गई है । सब जाकर आराम कर लो । रविश शिवांश को अपनी गोद में उठाकर , जो अभी तक पीहू की गोद में सो चुका होता है । लेकर कमरे में चलें जाते हैं ।
सरला जी गेस्ट रूम की तरफ देखकर , सरला जी रवि की तरफ मुड़ते हुए -: रवि इसके पिताजी को कल सुबह फोन कर के बुलवा लो । वो इसे यहां से ले जायेंगे ।
नेहा और पीहू रिचा को रूम में जाते हैं ।
पीहू – आप आराम करिए और किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप हमें आवाज दे दीजियेगा । हम यहीं पास में ही है । आप आराम करिए मैं आपके खाने के लिए कुछ लेकर आती हूं ।
रिचा – इसकी कोई जरूरत नहीं है , आप सबने मेरे लिए जो किया है । मैं उसका अहसान नहीं चुका सकती । बहुत कम लोग होते हैं , जो किसी की मदद करते हैं। थैंक्यू आप लोगों ने मेरे लिए इतना किया । रिचा नेहा के पास आकर । आइ होप तुमने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर मुझे माफ़ कर दिया है । तभी तुमने मेरी मदद की।
नेहा – आप किसी गलतफहमी में मत रहना । ये सब मैंने आपके लिए नहीं , स्वाति भाभी के लिए किया है । और आपकी जगह कोई और भी होती तो भी मैं यही करती । आपने जो भैया और हमारे साथ किया है । उसके लिए हमसे से कोई भी आपको माफ नहीं करता । लेकिन आपकी वजह से स्वाति भाभी हमारी जिंदगी में आई है इसलिए शायद आपको घर वाले आपको माफ कर दे । पर मुझसे ये उम्मीद मत करिएगा । और आपके लिए अच्छा यही होगा कि आप कल यहां से चली जाये । इतना कह कर नेहा वहां से चली जाती हैं और उसके पीछे-पीछे पीहू भी ।
पीहू , नेहा से रिचा के बारे में पूछती है । नेहा पीहू को रिचा का सारा सच बता देती हैं ।
उधर कमरे में रविश शिवांश को लिटा कर खुद भी सोने की कोशिश करते हैं । लेकिन रिचा के कारण नींद उनकी आंखों से कोसों दूर है ।
स्वाति – रविश जी … आप सो गए क्या ! प्लीज मुझे माफ कर दीजिए । मैं इस तरह उन्हें यहां ले आई , पर मैं क्या करती । उन्हें हास्पिटल ले जाना जरूरी था और जब उन्हें होश आया तो , हमने उन्हें उनका घर का पता पूछा ! पूछने पर उन्होंने बताया कि , वो
यहां काम की तलाश में आई थी । और किसी लाॅज में रूकी हुई थी । आज वो किसी हास्पिटल में भी गई थी इंटरव्यू देने । लेकिन उसे काम नहीं मिला । और जिस लाॅज में रूकी थी । उन लोगों ने भी इन्हें वहां से निकाल दिया है । इसलिए मैं उन्हें यहां ले आई । मां – पापा जी और आपसे किसी से भी नहीं पूछा । उसके लिए मुझे माफ़ कर दीजिए ।
रविश , स्वाति की तरफ देखते हुए – स्वाति , आपने जो भी किया मानवता के नाते किया । मैं या घर वाले आपसे नाराज नहीं हैं । लेकिन क्या सोचा जिसकी आप मदद कर रही है वो उस लायक भी है !!
और आपने सोचा है कि जब उसकी तबियत ठीक होगी तो आप उनके रहने की व्यवस्था कहां करेंगी । रविश अपनी बात पर जोर देते हुए कहते हैं ।
कभी – कभी हम किसी का अच्छा करने के चक्कर में खुद का बुरा कर लेते हैं , स्वाति ! स्वाति की तरफ देखकर – स्वाति मैं आपको कह नहीं पाया , लेकिन रवि की शादी में पहली बार जब आपको देखा था । तो उसी वक्त सोच लिया था कि शादी करूंगा तो आपसे ही वरना किसी और से नहीं और जब आपकी शादीशुदा होने की बात पता चली ।
उस समय की स्थति का अंदाजा आप नहीं लगा सकती थी , कि मुझ पर क्या बीती थी । बहुत मुश्किल से हमारी शादी हुई है और मैं , ये नहीं चाहता कि किसी की भी वजह से हमारी शादीशुदा जिंदगी में कोई भी परेशानी आये ! मैं ये बर्दाश्त नहीं करूंगा । इतना कह कर रविश अपने कमरे से बाहर निकल जाते हैं । और स्वाति रविश की बातों का मतलब समझने की कोशिश कर रही हैं ।
स्वाति मन ही मन – ऐसा हुआ क्या जो , रविश को इतना परेशान किये हुए हैं । क्या मैंने कुछ ग़लत कर दिया है ।
स्वाति परेशान होती हुई कमरे में टहलने लगती हैं । वो बार – बार बाहर की ओर देखती है । रविश के ना आने से स्वाति खुद ही रविश को बुलाने जाती हैं ।
उधर रविश देर रात परेशानी से छत पर टहल रहे थे ।
उन्हें रिचा की असलियत पता थी , वो उसके रग – रग वाकिफ थे । डर तो उन्हें इस बात का था कि रिचा कहीं स्वाति को उनके पुराने रिश्ते के बारे में कुछ भी उल्टा सीधा ना बता दें । इसलिए उन्होंने फैसला कर लिया था स्वाति को सब सच बताने का ।
पर वो डर भी रहे थे कि सच जानकर स्वाति पर क्या बीतेगी । लेकिन सच को बताना जरूरी भी था ।
रविश , स्वाति को सच बताने जा ही रहे थे कि , सामने से रिचा आते हुए दिखाई दी ।
रिचा , रविश से – रविश तुम अब तक सोये नहीं ! तुम्हें अभी भी मेरी फिक्र है , है ना इसलिए इतनी रात तक सोये नहीं ! रिचा , रविश के करीब जाकर
तुम अब भी मेरी परवाह करते हो और …
रविश , रिचा की बात बीच में काटकर – तुम बहुत बड़ी गलतफहमी में हो , रिचा ! या शायद सिर में चोट लगने के कारण तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है । मुझे फिक्र जरुर हो रही है लेकिन तुम्हारी नहीं… स्वाति की … मैं स्वाति जी से बहुत प्यार करता हूं और उन्हें खोना नहीं चाहता । अगर तुम्हारी वजह से उन्हें थोड़ी सी भी तकलीफ हुई तो मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा । रविश जाते – जाते ” और कल सुबह होते ही तुम यहां से चली जाना ।
रिचा – अभी एक हफ्ता भी नहीं हुआ है तुम्हारी शादी को और इतना प्यार ! क्या बात है …लोग कहते हैं कि इंसान अपना पहला प्यार भूलता नहीं है । पर तुमने तो कुछ महीनों में ही मुझे भूलकर उस विधवा से शादी कर ली । ऊंची आवाज में कहते हुए रिचा चुप हो जाती है ।
रवीश का चेहरा लाल है जाता है शरीर कांपने लगता हैं – रिचा …स्वाति मेरी पत्नी है और मैं उसके खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुनूउंगा । और जिस प्यार की तुम दुहाई दे रही हो उस वक्त कहां गया था ये प्यार जिस दिन तुम सगाई छोड़कर भाग गई थी । तब तुम्हें हमारा प्यार याद नहीं रहा । तुम जिस तरह से इस घर के अंदर दाखिल हुई हो । उसी तरह से यहां से चली जाओ वरना जिस दिन स्वाति को तुम्हारी असलियत पता चलेगी उस दिन तुम बेइज्जत होकर जाओगी इस घर से । समझ में आया तुम्हें ! ये कह कर रविश वहां से चलें जाते हैं ।
रिचा अपने आप से – वादा है अपने आप से , अगर तुम मेरे नहीं हुये तो उस स्वाति को भी तुम्हारी जिंदगी में रहने नहीं दूंगी ।
उधर जब रविश कमरे में आते हैं तो , स्वाति को ना पाकर परेशान हो जाते हैं । स्वाति को बाहर देखने जा ही रहे होते हैं कि , अचानक से स्वाति आकर रविश के गले लग जाती हैं और रोने लगती हैं …
रविश , स्वाति को ऐसे देखकर घबरा जाता है ।
रविश – स्वाति , मैं आपसे नाराज नहीं हूं । प्लीज़ आप रोना बंद करिए । रविश के समझाने के बावजूद
स्वाति का रोना कम नहीं होता । रविश , स्वाति को अपने से अलग करके प्यार से पूछते हैं । स्वाति का चेहरा अपने हाथों में लेकर … ” पहले तो आप चुप होइए । आपका इस तरह रोना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है । रवीश धीरे से ..”, और वैसे भी आपकी आवाज सुनकर शिवु उठ जायेगा । और उसे ये लगेगा की मैं आपकी पिटाई कर रहा हूं । ये सुनकर रोते – रोते स्वाति मुस्कुराने लगती है ।
रविश , स्वाति के आंसू पोंछते हुए – आप मुस्कराते हुए ज्यादा अच्छी लगती हैं । अब बताइए आप क्यूं रो रही थी ।
स्वाति – रविश जी , मैंने आपकी और रिचा की बातें सुन ली ।
रविश , स्वाति की ओर देखकर – स्वाति पहले मेरी बात सुन लो फिर कोई फैसला करना ।
स्वाति , रविश को चुप रहने का इशारा करते हुए – जो भी सुनना था , हमने सब सुन भी लिया और समझ भी लिया । स्वाति रविश के करीब जाती हुई । मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि आपका भी पास्ट हो सकता है और वो हमारा प्रेजेंट बिगाड़ने आ सकता है । और मुझे ये भी पता चला कि मेरे पति मुझसे कितना प्यार करते हैं । स्वाति , रविश की आंखों में देखते हुए …आई लव यू रविश जी … मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं । स्वाति , रविश के सीने से लग जाती है । जिसे रविश ने कसकर पकड़ लिया ।
रविश , स्वाति को वैसे ही सीने से लगाए हुए – वैसे स्वाति मुझे लगता है कि हमें रिचा को थैंक्यू कहना चाहिए .. क्यूं !!
स्वाति – क्यूं !!
रविश – क्योंकि उसी की वजह से आज आपने अपने प्यार का इजहार किया है । इसलिए ..
स्वाति शरमा कर रविश की बांहो में छुप जाती है ..।
अगली सुबह …
रिचा तैयार होकर बाहर आती है । जिसे देखकर स्वाति रिचा से कहती है ।
स्वाति – रिचा जी कैसी तबीयत है आपकी ! रिचा कुछ कहती उससे पहले ही स्वाति कहती हैं… पहले से बहुत अच्छी और स्वस्थ लग रही है आप । चलिए सब के साथ नाश्ता कर लीजिए ।
घर के सभी लोग स्वाति को आश्चर्य से देख रहे थे । लेकिन रविश स्वाति को देखकर मुस्कुरा रहे थे । डाइनिंग टेबल पर सब बैठ जाते हैं , लेकिन जब रिचा रविश की बगल वाली सीट पर बैठने वाली होती हैं । स्वाति उसे टोक देती है …
स्वाति – रिचा वो मेरी जगह है , और अपनी जगह मैं किसी को नहीं देती ।
रिचा – क्यूं इस जगह पर तुम्हारा नाम लिखा है क्या !
स्वाति रविश की तरफ देखकर मुस्कराते हुए – रविश के बाजू में बैठना मेरा अधिकार है , समझी आप ! स्वाति रविश पास बैठ जाती है ।
स्वाति , रवि को इशारे से पूछती है ।स्वाति – काम हुआ की नहीं !
रवि इशारे से – हो गया भाभी ।
उसी वक्त रवि मोबाइल पर किसी का काल आता है ।
रवि – आपने उसे पकड़ लिया । थैंक्यू कमिश्नर अंकल …।
कमिश्नर का नाम सुनकर रिचा के हाथ से चम्मच छूट जाती हैं ।
सरला जी – क्या हुआ रवि ! किसका फोन था ।
रवि – कमिश्नर अंकल का फोन था मां ! कल रात को भाभी ने उस कार का नं. बताया था जिससे रिचा जी का एक्सिडेंट हुआ था । भाभी ने उसका पता लगाने के लिए कहा था । मैंने वो नं. कमिश्नर अंकल को बता दिया था । उन्हीं का फोन था , वो कार किसी सूनसान जगह पर मिल गयी है और जल्द ही कार का मालिक भी पकड़ा जाएगा ।
कमिश्नर अंकल रिचा जी को पोलिस स्टेशन आकर रिपोर्ट लिखवाने के लिए कह रहे हैं ।
रिचा घबराते हुए – इसकी क्या जरूरत है , जो हो गया सो हो गया । मैं सही सलामत हूं बहुत है ।
स्वाति – ऐसे कैसे ऋचा जी ! आपके साथ इतनी बड़ी दुर्घटना हुई है जिसमें आपकी जान भी जा सकती थी । आपको रिपोर्ट लिखवाने पुलिस स्टेशन जाना चाहिए । अगर आप नहीं जाएंगी तो हम वहां जाकर रिपोर्टर से आएंगे क्योंकि वारदात के समय मैं वहां मौजूद थी ।
स्वाति की बात सुनकर रिचा घबरा जाती है और रिपोर्ट लिखवाने के लिए मना करती है ।
स्वाति – मुझे पता है ऋचा जी ! आप क्यों मना कर रही हो । क्योंकि यह सब आप ने ही करवाया है । इस घर में और रविश जी की जिंदगी में फिर से आने के लिए । चौंकिए मत ! कल रात को मैंने आपकी और रवीश जी की बातें सुननी थी । और रविश जी के जाने के बाद आप जो कह रही थी वह मैंने सुन लिया था । मुझे आपकी सारी करतूत पता है और मेरे पास सबूत भी है कि आपने खुद अपना एक्सिडेंट करवाया है । अगर आप इस सब से बचना चाहती हैं तो आप हमारी जिंदगी से चली जाइये । वरना आपको जेल जाने से कोई रोक नहीं सकता । समझी आप !!
रिचा – गुस्से से वहां से वहां से चली जाती हैं ।
सरला जी – मुझे लगा नहीं था कि ऋचा इतनी आसानी से हमारा पीछा छोड़ देगी । सभी घरवाले हंसने लगते हैं । लेकिन रविश मुस्कराते हुए प्यार से स्वाति को देख रहे होते हैं …..
क्रमशः
रचनाकार – श्वेता सोनी