रविश नाश्ता करने के बाद सरला जी से ..
रविश – मां मैं क्लिनीक जा रहा हूं । शाम को जल्दी घर आऊंगा । स्वाति आप और शिवांश तैयार रहना शाम को मैं आपको मंदिर ले जाऊंगा । आता हूं …कहकर रविश क्लिनीक चलें जाते हैं । रविश के जाते ही नेहा हंसते हुए सरला जी से कहती हैं – मां भैया भी ना …उनको तो भाभी को मूवी दिखाने और डिनर पर ले जाना चाहिए । लेकिन वो भाभी को मंदिर ले जा रहे हैं …।कह कर हंसती हुई नेहा अपने कालेज के लिए निकल जाती है और सब घर वाले भी नाश्ता कर के अपने – अपने काम में चले जाते हैं पीहू और स्वाति नाश्ते के बर्तन समेट कर किचन में ले जा रही होती है । तभी सरला जी स्वाति को रोक कर कहती हैं …।
सरला जी – स्वाति इधर आओ बेटा , मेरे पास बैठो ।
स्वाति सरला जी के पास जाकर बैठ जाती हैं ।
सरला जी – स्वाति , बेटा तुम नेहा की बात सुनकर परेशान मत होना । वो क्या है कि ना …स्वाति सरला जी की बात बीच में काटकर कहती हैं ।
स्वाति – मां , आप परेशान मत होइए । मुझे नेहा की बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा और ना ही मैं परेशान हूं । दरअसल मैंने ही उन्हें कहा था , मंदिर दर्शन कराने के लिए ।
सरला जी मुस्कराते हुए , स्वाति के सर पर हाथ रख रखती ।
उधर क्लीनिक में रविश पैशेंट देख रहे होते हैं ।
पेशैंट की अच्छी खासी भीड़ है हास्पिटल में की तभी
कांउटर पर बैठे नरेश को , जो पेशेंट के नाम एंट्री कर उन्हें बारी – बारी से डाॅ. के रुम में भेज रहे हैं । उन्होंने एक जानी पहचानी आवाज सुनी …
नरेश … । नरेश ने सर उठाकर देखा तो सामने रिचा खड़ी थी । एक बार रिचा को यूं अचानक देखकर नरेश को यकीन नहीं हुआ । कुछ देर तक तो वो यूं ही रिचा को देखते रहा । जब तक रिचा खुद नरेश के पास नहीं आ गई ।
रिचा एक पढ़ी लिखी खूबसूरत महिला है । उसने अपनी जिंदगी में जो चाहा वो पाया है । इतने दिनों या कहूं महीनों से वो इस शहर को छोड़कर चली गई थी । क्योंकि उसे एक बहुत ही बड़ा आफर आया था । किसी शहर के बड़े डाॅ. की असिस्टेंट बनने का और वो ये आॅफर ठुकरा नहीं सकी । उसने अपनी जिंदगी का बहुत बड़ा फैसला किया और फैसला ये था कि रिचा अपनी सगाई के दिन ही अपने मंगेतर से रिश्ता तोड़कर और उसे यूं सबके बीच जवाब देने के लिए अकेला छोड़कर चली गई । और अब इतने महीनों बाद आई है । खूबसूरत होने के साथ-साथ घंमडी और जिद्दी किस्म की इंसान हैं रिचा । जिस चीज को पाना चाहती है , जब उसे पा ना ले चैन से बैठती ।
रिचा – हैलो नरेश , कैसे हो !
नरेश – मैं ठीक हूं , रिचा मैम !
रिचा मुस्कराते हुए – रविश है क्या अपने केबिन में !
नरेश ( मन ही मन ) दिखता नहीं है इतने पेसेंट यहां सर से मिलने के लिए बैठे हैं …। हां अपने केबिन में ही बैठे हैं ।
रिचा – मुझे उनसे मिलना है ! मैं उनसे मिलकर आती हूं ।
नरेश , रिचा को रोकते हुए – रिचा मैडम , अभी सर बिजी हैं । मैं उन्हें एक बार पूछ लेता हूं फिर आप सर से मिल सकती है ।
रिचा आंख कि त्योंरियों को चढ़ाते हुए – तुम मुझे कब से जानते हो नरेश !
नरेश थोड़ा सहमते हुए – नौ या दस महीनों से !
रिचा – जब तुमने यहां काम शुरू भी नहीं किया था ।
तब से मैं यहां बतोर असिस्टेंट डाॅ. काम कर चुकी हूं । रविश मुझे अच्छी तरह से जानते हैं , समझे तुम !
नरेश कुछ कहता उससे पहले ही रिचा रविश के केबिन के अंदर दाखिल हो चुकी थी ।
तब रविश मि. शर्मा का चेकअप कर रहे थे । मिसेज शर्मा वहीं बैठी थी । रिचा केबिन में जाते ही मिसेज शर्मा के पीछे खड़ी हो जाती हैं ।
रविश – अंकल अब आपकी तबियत पहले से बहुत ठीक है । बस थोड़ी कमजोरी हो गई है । मैं कुछ मल्टीविटामिन की दवाई लिख देता हूं । कुछ दिनों में आप बिल्कुल ठीक हो जायेंगे । मि. शर्मा को कहते हुए रविश पीछे मुड़ते हैं , कि रविश रिचा को अचानक अपने केबिन में देखकर अवाक हो जाते हैं । मिसेज शर्मा रविश को देखकर पीछे मुड़कर देखने लगती है , तो उन्हें रिचा दिखाई देती है ।
रविश , रिचा को देखकर चुपचाप अपनी चेयर पर बैठ जाते हैं । मि. शर्मा की तरफ देखकर अंकल ये दवाई आप मेडिकल से ले लीजिएगा और महीने में दो बार चेकअप जरूर कराते रहीयेगा ।
मिसेज शर्मा रिचा को देखकर – ओ माई गॉड ! कितने दिनों बाद या यूं कहूं महीनों बाद तुम्हें देख रही हूं । तुम तो पहले से भी ज्यादा खुबसूरत लग रही हो । मैं जब भी यहां थी तुम्हें बहुत मिस किया रिचा । क्या यहां फिर से ज्वाइन कर रही हो ! मिसेज शर्मा अपने शब्दों चाशनी घोलती हुई बोलती हैं ।
रिचा रविश की तरफ देखते हुए – सोचा तो यही है ! देखिए आगे होता क्या है ।
मिसेज शर्मा और मि. शर्मा दोनों चले जाते हैं ।
रिचा रविश की तरफ देखकर – हैलो रविश ! बैठने को नहीं कहोगे !
रविश , रिचा की तरफ देखते हुए – लैंडलाइन से नरेश को काल कर के ।
नरेश तुम्हें कितनी बार कहा है कि , जब मैं पैसेंट देख रहा होता हूं, तो किसी को भी मेरे केबिन में आने की परमिशन नहीं है । उधर से नरेश ने कुछ कहा ! लेकिन रविश ने गुस्से से रिचा की तरफ देखते हुए कहा ! चाहे कोई भी क्यूं ना हो , जब मैं पैसेंट के साथ बिजी रहता हूं , चाहे कोई भी हो मेरे केबिन में नहीं आना चाहिए । समझे तुम !
नरेश – जी सर ! आगे से ऐसा नहीं होगा ।
रविश , रिचा की तरफ देखकर – आप कुछ कह रही थी । मैम ! अपनी परेशानी बताइए ।
रिचा परेशान होते हुए – रविश , आप मुझसे अच्छे से बात करिए । मैं मानती हूं कि मुझसे गलती हो गई । लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं ना कि तुम मुझसे नफरत करो । रिचा लगभग रोते हुए कहती हैं । मैं बहुत मुश्किल में हूं रविश , मैंने मुंबई हमेशा के लिए छोड़ दिया है और अब मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं । प्लीज़ रविश मुझसे नाराज मत हो ।
रविश , रिचा की तरफ देखकर – रिचा मैंने तो तुम्हें कब का माफ कर दिया । मुझे तुम्हें यहां देखने की उम्मीद नहीं थी इसलिए थोड़ी देर डिस्टर्ब हो गया था । लेकिन अब मैं बिल्कुल ठीक हूं । अगर तुम येसब नहीं करती तो मुझे स्वाति जैसी पत्नी कभी नहीं मिलती । थैंक्यू रिचा … ।
रिचा , रविश की शादी के बारे में जानकर सन्न हो जाती है । लेकिन किसी तरह अपने आप को संयत कर रविश से कहती हैं ।
रिचा – रविश मैं अभी बहुत मुश्किल में हूं , पापा के जाने के भाई और भाभी ने भी साथ छोड़ दिया है । मुझे काम की बहुत जरूरत है और रहने के लिए भी एक जगह की जरूरत है । प्लीज़ रविश मेरी मदद करिए । मुझे अपने हास्पिटल में काम दे दीजिए ।
अभी मैं पास ही एक शिवम् लाॅज में रूकी हूं । लेकिन ज्यादा दिन नहीं रह सकती । मेरे पास पैसे भी खत्म हो चुके हैं । इतना कह कर रिचा वहां से चली जाती हैं ।
रिचा के जाने के बाद रविश , रिचा के ही बारे में सोचने लगते हैं ।
उधर घर में स्वाति तैयार हो कर , रविश के आने का इंतजार कर रही होती हैं । लेकिन रविश नहीं आते ।
सरला जी , स्वाति को देखकर पूछती है ।
सरला जी – बेटा , रविश अभी तक नहीं आया क्या ! स्वाति – नहीं मां , अभी तक नहीं आये है और फोन भी कर रही हूं , तो फोन उठा भी नहीं रहे हैं ।
एक करिए भाभी , भैया को आज जाने दीजिए । चलिए हम सब कहीं साथ घूम कर आते हैं । मैं पीहू भाभी को भी तैयार होकर आने के लिए कहती हूं । आप बस पांच मिनट रूको मैं दस मिनट में आती हूं । कह कर नेहा तैयार होने चली जाती हैं ।
नेहा अपनी नई कार में स्वाति , शिवांश , पीहू को लेकर सबसे पहले शिव – गौरी पार्क जाते हैं । उस पार्क में भगवान शिव और माता पार्वती की भव्य सफेद मूर्ति गार्डन के बीचों बीच स्थापित थी । सब गार्डन में बहुत देर तक घूमते रहे । फिर उसके बाद वो लोग किसी अच्छे से फैमिली रेस्टोरेंट में अपनी – अपनी पसंद का खाना खाने के लिए गये । खाना खाकर रेस्टोरेंट से बाहर निकल कर वहीं पास ही आइसक्रीम वाले से आइसक्रीम खा ही रहे थे कि , उनके सामने से आती एक कार ने एक महिला को जोर से टक्कर मार कर आगे बढ़ गई । नेहा , पीहू और स्वाति ये देखकर शौक हो गई । वहीं शिवांश की चीख निकल गई । स्वाति ने शिवांश को पीहू को संभालने बोला । पीहू , शिवांश के साथ कार के बैठ गई और स्वाति खुद उस महिला को साथ लेकर पीछे बैठी और सब उसे पास ही के हास्पिटल ले कर गए ।
इधर घर में सरला जी स्वाति और बाकी सब के ना आने से बहुत परेशान थी । रात के दस बज रहे थे ।
थोड़ी देर बाद किसी की कार के आने की आवाज सुनकर बाहर आई , । रविश अपनी मां को घबराया हुआ देखकर …।
रविश – मां क्या हुआ , आप इतनी घबराई हुई क्यों दिख रही हो !
सरला जी रविश को सारी बात बताती हैं और अभी तक घर ना आने के बारे में भी बताती है जिसे सुनकर रविश टेंशन में आ जाते हैं । की बार फोन लगाने पर भी कोई फोन नहीं उठाते जिससे रविश परेशान हो जाते हैं । वो रवि के साथ सबको ढूंढने जाने ही वाले होते हैं कि बाहर कार की आने की आवाज सुनाई देती है । रविश बाहर जाकर देखते हैं तो उनकी जान में जान आती है । कि तभी पीछे की सीट पर स्वाति के साथ बैठी महिला को देखकर रविश चौंक जाते हैं और सरला जी वहीं जड़ हों जाती हैं ।
क्रमशः
रचनाकार – श्वेता सोनी