रचना – स्वाति – प्लीज़ ये गिरने वाली बात आप घर में किसी को मत बतायेगा ।
रविश मुस्कुराते हुए – नहीं बताऊंगा । लेकिन पहले आप मुझे मोच पर मलहम लगाने देंगी तो ही नहीं बताऊंगा । रविश के इतना कहते ही स्वाति चुप हो जाती है । और रविश , स्वाति के मोच पर मलहम लगाने लगते हैं ।
रविश – अब आप सोच जाइए । रात के दो बज रहे हैं । सुबह आपको जल्दी उठना होगा ना ! ये कहकर रविश सोफे की तरफ जाने लगते हैं । जिसे स्वाति देख रही है । रविश पलट कर वापिस आते हुए – मैं बस ये ब्लैंकेट लेने गया था । आप आराम से सो जाइये , मैं यहीं आपके पास ही हूं । इतना कहकर रविश बेड के किनारे एक तरफ होकर सो जाते हैं । लेकिन उसकी आंखों से नींद गायब हो चुकी थी । स्वाति उसके पास ही सोने वाली है , ये अहसास ही उसकी नींदे उड़ाने के लिए काफी था । रविश के लेटते ही स्वाति भी रविश के बगल में लेट जाती है । स्वाति भी अपने अहसासों के साथ लेट तो जाती है। लेकिन नींद उसे भी नहीं आ रही । अपने – अपने अहसासों के साथ दोनों कि आंख कब लगी । पता ही नहीं चला । सुबह पांच बजे चिड़ियों की चहचहाहट से रविश आंखें खुल जाती है । आंखें खुलते ही स्वाति को अपने बाजू में सोता देख कर बस वो उसे देखते ही रह जाते हैं । जैसे उसे अपनी किस्मत पर भरोसा ना हो ! स्वाति अभी भी गहरी नींद में थी । सोती हुई स्वाति को देख रविश के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई । उसने स्वाति के चेहरे पर आती हुई बालों की लट को एक ओर हटा कर शिवांश को देखने लगा । शिवांश के सर को चूमते हुए रविश बाथरूम की ओर चले गए । अपने घूमने वाले कपड़े पहन कर रविश बाथरूम से बाहर निकले । तब तक स्वाति भी उठ गई थी । रविश , स्वाति की ओर देखते हुए – आप इतनी सुबह उठ गई । स्वाति – जी !
स्वाति – आप हमेशा इतनी सुबह उठ जाते हैं ।
रविश मुस्कुराते हुए स्वाति को देखकर – हां बचपन से ही मेरी आदत है । सुबह उठकर टहलने जाने की ।
स्वाति खुश होकर – मुझे भी बहुत पसंद हैं सुबह – सुबह टहलना । जब मेरी शादी नहीं हुई थी ना , तो मैं रोज सुबह ५ बजे उठकर अपने दोस्तों के साथ टहलने जाती थी । लेकिन राजेश से शादी होने के बाद कभी नहीं गई ।
रविश , स्वाति के नजदीक जाते हुए – स्वाति , आपके साथ पहले जो कुछ भी हुआ । उसे तो मैं बदल नहीं सकता । लेकिन कोशिश करूंगा कि अब आपके साथ कुछ भी ग़लत ना हो ।
क्रमशः