“मां ! मैंने पहले भी कहा था और अभी भी कहती हूॅं कि हर औरत के नसीब में पति का सुख हो ऐसा होता नहीं है । मेरी तो किस्मत में ही सुख लिखना ईश्वर भूल गए है । आज हम सभी इक्कीसवीं सदी में रह रहे हैं और समय के साथ-साथ लोगों की सोच भी बदली है । इसका जीता – जागता उदाहरण तो आप दोनों माएं है । आप दोनों ही पुरानी विचारधाराओं में पली-बढ़ी थी और यहां तक कि उसे मानने वाली भी थी । सदियों से चली आ रही परंपराओं में बदलाव आप लोगों को मंजूर नहीं था लेकिन फिर भी इन सब के ऊपर आपने मेरी खुशी रखी । अपने बेटे को खोने के बाद मुझे तो यही लग रहा था कि मेरी सासू मां मुझे अपशगुनी मानकर उनकी मृत्यु का दोष मेरे ही माथे पर मढ़ देंगी लेकिन मेरी सोच के विपरीत ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । शादी के छः महीने बाद ही मैंने अपने उस पति को हमेशा के लिए खो दिया जो मुझ पर अपनी जान छिड़कता था ।” आंखों में आंसू लिए विशाखा ने कहा ।
“बेटी ! तुम्हारे गुनाहगार हम दोनों ही हैं लेकिन मेरा यकीन करो तुम हम दोनों में से किसी पर बोझ नहीं थी बल्कि हम तो तुम्हारी खुशी चाहते थे और उसी खुशी के लिए हमने तुम्हारा पुनर्विवाह अजय जी से कराया था । हमें लगा था कि हम दोनों कब तक तुम्हारे साथ रहेंगे ? अभी उम्र ही क्या हुई है तुम्हारी । सिर्फ पच्चीस साल की ही तो हो तुम । बहुत कुछ छुपाने लगी हो तुम । आज अगर हमने अपनी आंखों से नहीं देखा होता तो हमें तो कुछ मालूम ही नहीं चलता कि तुम्हारी जिंदगी में क्या चल रहा है ? हमेशा अपने चेहरे पर मुस्कान रखकर तुमने अपने दर्द को छुपाया है सिर्फ इसलिए ना कि हमें मालूम ना चलें ?” विशाखा की मां ने अपनी बेटी के सिर पर हाथ रखते हुए कहा ।
“मां ! मैं नहीं चाहती थी कि मेरे कारण आप लोग परेशान हो । मैंने अपनी शादी बचाने की बहुत कोशिश की और अभी भी कर रही हूॅं लेकिन यह आदमी मुझ पर बहुत शक करता है यहाॅं तक कि अपने बेटे को भी अपना बेटा नहीं मानता । मेरी खूबसूरती ही मेरे लिए अभिश्राप बन गई हैं । मैं किसी से भी हंस कर बात करने भर से ही वह मुझ पर शक करने लगता है और इसी गुस्से में मुझे मारने – पीटने लगता है लेकिन आपलोग चिंता मत करें । मुझे विश्वास है कि एक – ना – एक दिन आपलोगो के आशीर्वाद से मेरी जिंदगी में भी खुशियां आ ही जाएंगी ।” विशाखा ने अपनी ऑंखों से गिरते ऑंसूओं को साड़ी के पल्लू से पोंछते हुए कहा ।
“विशाखा ! हम दोनों का आशीर्वाद तुम्हारे साथ हमेशा से रहा है और आगे भी रहेगा उसी आशीर्वाद का वास्ता है तुम्हें । हम जो कहेंगे अब तुम वही करोगी । बहुत सही लिया तुमने । अब हम अपनी बेटी को एक और दर्द सहने नहीं देंगे और यह कहां पर लिखा है कि शादी बचाने के लिए सिर्फ औरतों को ही प्रयास करना चाहिए । अब हम दोनों तुम्हें ऐसे घर में नहीं रहने देंगे जहां पर तुम पर हाथ उठाया जाता हो और तुम्हारी कोई इज्जत ही ना हो । आज के बाद हम तीनों ही तुम्हारे हर कदम पर तुम्हारे साथ हैं ।” विशाखा की पहली सासु मां ने विशाखा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा ।
“मांजी ! हम तीनों ? मैं समझी नहीं आप किसकी बात कर रही है ?” आंखों में आश्चर्य लिए विशाखा ने अपनी पहली सासू मां से पूछा ।
“हम दोनों के साथ – साथ तुम्हारी मम्मी जी भी अब तुम्हारे साथ हैं । अपने बेटे द्वारा होती आ रही हरकतों पर वह बहुत शर्मिंदा है और आज उन्होंने ही हम दोनों को यहां पर तुम्हारी मदद के लिए बुलाया है । वह चाहती थी कि हम दोनों अपनी आंख से तुम पर हो रही ज्यादतियां देखें और कोई निर्णय लें । हम तीनों ही चाहते हैं कि तुम अजय जी से अलग हो जाओ और अपनी एक अलग दुनिया बसा लों । इस दुनिया में बहुत सारी ऐसी औरतें हैं जो अपने स्वाभिमान के साथ जी रही हैं । तुम पढ़ी – लिखी हो, तुम्हें अच्छी नौकरी मिल सकती है और इस तरह तुम अपने बेटे का भविष्य भी संवार सकती हो । आज हमें समझ में आ गया है कि एक विधवा को सुहागन बनकर ही खुशियां मिलें यह जरूरी नहीं । जरूरत तो है उसे सिर्फ एक ऐसे साथी कि जो हर कदम पर उसका साथ दें । उसे वह मान – सम्मान दें जिसकी वह हकदार है ।” विशाखा की मां ने विशाखा की तरफ देखते हुए कहा ।
विशाखा भी पुनर्विवाह के बाद बीते इन दो सालों में अपनी शादी को बचाने का भरसक प्रयास कर हार चुकी थी । अजय के साथ उसे अपना और अपने बेटे पार्थ का भविष्य भी सुरक्षित नहीं दिख रहा था । ऐसे में अजय की मां के द्वारा उठाया गया यह कदम विशाखा की जिंदगी में नया बदलाव लेकर आने वाला था और विशाखा भी इसी उम्मीद में उनके साथ आ खड़ी हुई थी कि उसके जीवन में भी एक ना एक दिन खुशियों की बरसात अवश्य होगी ।
####### समाप्त #########
धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💓