आज तो पर्वानुकूल लेखन-विषय को लेकर सुबह-सुबह ही लेखनी को आतुर होना पड़ा। सर्वप्रथम तो सभी सुधी सुहृद जनों को इस पावन पर्व की असंख्य हार्दिक शुभकामनाएँ  –:🌄🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏🌄
मकर संक्रान्ति भारत का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्यौहार  जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।
     संपूर्ण भारत में मकर संक्रांति  विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। विभिन्न प्रांतों में इस त्यौहार को मनाने के जितने अधिक रूप प्रचलित हैं उतने किसी अन्य पर्व में नहीं। पूर्वोत्तर भारत में खिचड़ी/ संक्राति, और उत्तरायणी तो असम में बिहु, पंजाब में लोहड़ी तो दक्षिण में पोंगल के नाम से मनाया जाता है।
         कई स्थानों पर आज आसमान में पतंगों की धूम होती है। धरा से आसमाँ तक पतंग और पतंगबाज़ी का हौसला और उत्साह भी देखने लायक होता है।रंग- बिरंगी  मचलती पतंगें सबके मन को आकर्षित करतीं हैं। 
       इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ट होता है –:
“माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥”
मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ: – छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। । मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
   मकर संक्रान्ति और नये पैमाने पर अन्य त्योहारों की तरह लोग अब इस त्यौहार पर भी छोटे-छोटे मोबाइल-सन्देश एक दूसरे को भेजते हैं। इसके अलावा सुन्दर व आकर्षक बधाई-कार्ड भेजकर इस परम्परागत पर्व को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सामयिक प्रचलन का प्रभाव सर्वत्र पड़ना निश्चित ही है।
इस वर्ष भी यह पर्व आज से प्रारंभ होकर  15 जनवरी तक किसी न किसी रूप में मनाया जाएगा। 
         लेखिका –
                 सुषमा श्रीवास्तव 
  उत्तराखण्ड
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *