पेड़ पौधे लेते रहे आकर
जमीन का यही है विस्तार
काट काट कर पेड़ पौधे
ऊंची ऊंची रिहायशी इमारतें
बना ली एक के ऊपर एक
न छोड़ा बाग , न छोड़ा खेत
पक्षी बेचारे ढूंढ रहे सहारा
कुछ तो रहने दो उनका सहारा
पर्यावरण संरक्षण गर करोगे
अपने लिए ही अच्छा तुम करोगे
मत करो गंदा अपनें आस पास
जीवन जीने दो प्रकृति को भी आज
एक संतान एक पीढ़ी तक तराएगी
पेड़ को संतान मानो युगों युगों तक
प्रताप इंसान को वो दिखाएगी
कर लो भाई इतना तुम काम
पर्यावरण को बचाओ ,
बचाओ खुद को आज
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© रेणु सिंह राधे ✍️