जीवन के नियम निराले
समय के साथ बदलता परिवेश।
समयचक्र बदलता निश दिन
परिवर्तन प्रकृति का नियम।
कभी खुशी-कभी गम आते
जीवन झंझावातो का संगम ।
परिवेश सोच विचार बदलते
बदल रहे हम सब दुनिया में ।
पसंद बदलती,रंग बदलते
जीवन के चक्र घूमता प्रति पल।
संस्कृति संस्कार बदलते देखे
परिवर्तित होते हम भी।
सोच समझ में परिवर्तन दिखता
नित्य नई सुबह खिलती है
आशा से हम सबको भरती।
धरती घूम रही धुरी पर
परिवर्तित करती दिन और रात।
बदलते परिवेश में जरूरी है
परिवर्तन के साथ बदले अपने विचार।
पुरानी जिन्दगी बदल गयी
परिवर्तन और हम आधुनिक हो गये।
—–अनिता शर्मा झाँसी
—–मौलिक रचना