सुनो
मेरे प्यार
को
मत बाँधो
किसी परिधि में ।
मेरा प्यार
तो
निःस्वार्थ
भावनाओं से
बंधा है ।
चाहो तो
आजमाकर
देख सकते हो
कहीं भी,
कभी भी ।
उसके बाद
बताना
क्या मेरा
साथ दोगे
हरदम ।
मैं सपना नही
तुम्हारे
जीवन में
रहना चाहती हूँ
अपना बनकर…..।
अनिता मंदिलवार सपना