कविता पत्र मन के भाव जो वयक्त करे। लिखित में जो अभिव्यक्त करें। पत्र ,उसे ,हम कहते हैं। इसे रोचक कला भी कहते हैं। दूरी भी पास हो जाती है। जब प्रियतम की,पाती,पाती है। आत्मीयता, स्पष्ट दिखाती है। जो मन की जलन मिटाती है। पत्रों में विशेषता होती है। सरल ,शिष्टता,होती है। मौलिक, संक्षिप्त,आर्कषकता होती है। पत्र में ,शब्दों की , सार्थकता होती है। पत्रों के, होते दो, प्रकार । औपचारिक, अनौपचारिक यार। शासकीय, कुछ निजी कहाते। जो सोये मन के,भेद जगाते। अलग अलग, ढंग से लिखे जाते। प्रेम,प्रीति, को पत्र बढ़ाते। राधा ने, लिखा,खत मोहनं को । मीरा, लिखतीं सम्मोहन को। प्रेम पत्र ,बन गये ,भजन है। गिरधर को मानीं, अपने सजन है। रुक्मिणी लिखा, खत कान्हा को। प्रियतम ,मानी ,अंजाना को। बलराम के भाई से नेह लगे। खत के, पढ़ते मन भाव जगे। बलराम यादव देवरा