🌺🌺🌺 हाथों की लकीरों की क्या बात हुई….
बार बार उसी से मुलाकात हुई
मुलाकात की क्या बात करूं 🌺🌺
फिर से एक वही शुरआत करूं😍…
हमें तो बस प्यार💝 जताना आता है
वफा निभाना तो मेरे दिल में आता है
🌹🌹
हाथों की कठपुतली बनकर मै चला किस ओर
जिस ओर कभी प्यार की कोई गुंजाइश न थी
🌹🌹🌹
क्यूं हुआ था ये एकतरफा ईश्क मुहब्बत 🌷
क्यों हुआ मुझे उस बेनाम दर्द इबादत🌺
आता है गुस्सा मुझे इस हाथों की ✋ 
लकीरों का🌹🌹
Bewfa हो जाता है कोई जब दिल की
सींचे पसीने 🌺🌺 का
अब बस बहुत हुआ ये बेजुबान
  Chating मुहब्बत🌹🌹
हम क्षितिज घटा मोड़ कर फिर भी
करेंगे किसी ओर से दिल
खोलकर मुहब्बत🌹🌹🌹
मधु कहूं😍 या किस नयन की जलधारा है🌷
प्रेम उन्हीं से है जहां💝हमारी हाथों की लकीरों का सहारा है 🌹🌹🌹
🌷🌷🌷हे खुदा कुछ कर ऐसा कमाल 
हमनें जो सपनें संजोए है 🌺
वो कृपा से होगा साकार
हाथों की लकीरें शोर मचा रही है 🌺🌺
फूलों की माला से बस मिलने की आश 
जगा रही है
😍😜🌹🌹
जय देवी मईया 🙏🙏
लेखक की कलम❤️ से
मनीष कुमार 🌷🌷✍️✍️✍️
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *