पतंग
उड़ी उड़ी खुशियों की पतंग लेके तिल गुड़ संग।
झूमे नाचे सब मिल गाएँ संग संग।।
आई संक्रांति लेके खिचड़ी दही संग।
बड़े ,मुंगौड़े, पुआ,पापड़,खुरमा,कचौरी संग।।
माई नरबदा में बुड़की लगा के करे दीपदान खिचड़ी लड़ुवा संग।
भरके उमंग सब होके मगन चलें संग संग।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित डॉ आशा श्रीवास्तव जबलपुर