ओस की बूंदे हर पत्ते पर,
मोती सा श्रंगार लिए,
शरद ऋतु की मीठी मीठी,
खुशबू का उपहार लिए,
पतंग बन गई है प्रेयसी,
मांझा प्रेम की धार लिए,
दान दृष्टि के माध्यम से,
भारत का संस्कार लिए,
गुड और तिल के मिश्रण से,
स्वाद की चटकार लिए,
मकर संक्रांति आ गई देखो,
हर्ष और उल्लास लिए।
संगीता वर्मा✍️✍️
#मकर संक्रांति की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनएं