प्रणव  …….
रात के अंधियारे में गूंजती आवाज।
प्रणव बाबू की नींद खुली,घड़ी देखी रात के 12.30 बज रहे थे।अभी पहली ही नींद थी ,झुंझलाहट हुई।आवाज फिर से आई ,प्रणव ओ प्रणव । बगल में महुआ अपने बच्चे के साथ बेसुध दो रही थी।
हवेली में सुदीपा से झगड़ा हुआ,और वे आज ही  महुआ और अपने बच्चे को लेकर गांव के अपने फार्म हाउस आ गए थे।
कल तक दो चार नौकर भी हवेली से उनके पास रहने को आने वाले थे।
अमावस की अंधियारी रात थी ,सन्नाटा चरम पर था ,कुत्ते रह रह कर भौंक रहे थे।
ऐसे में कौन महिला इतने समय आकर मेरा नाम पुकार रही है।
कहीं सुदीपा तो नही।मुझसे गुस्सा थी ,हो सके वही गलती का अहसास कर आई होगी बड़बड़ाते हुए वे उठे और  दरवाजा खोल दिया।
सामने देखा तो_
लाल साड़ी पहने,बाल चेहरे पर बिखेरे  एक युवती वहां दरवाजे पर खड़ी थी।
तुमि के,…..? कि होलो(तुम कौन हो,और तुम्हे क्या हुआ है)_प्रणव दा ने कहा।
वह युवती पीछे मुड़ी ,और बिना बोले रोते सुनसान सड़क पर दौड़ पड़ी।
प्रणव दा को लगा शायद वह मदद के लिए आई हो?और कहीं ले जाना चाहती हो।
उन्होंने उसका पीछा किया , दाडा, दाडा (रुको)।
बहुत दूर सुनसान ,निर्जन एक बड़े इमली के पेड़ के पास वह रुकी।
हांफते हुए प्रणव दा उसके पास पहुंचे।
उसने अपने चेहरे से बालों को हटाया ,एक वीभत्स चेहरा ,उनके सामने था।
कौन हो तुम_मुझसे क्या दुश्मनी।
आमी निशीर डाक_उस युवती ने कहा।
आमी तोमा के छोड़बो न_वह गुराई।
आमाके तोमार बोउ तोन्त्रे  मोंत्रे कोरे आमर मोने तोमार नामे जाग्रत कोरेछे।
(मुझे तुम्हारी पत्नी ने काला जादू कर तुम्हारे नाम से जाग्रत किया है)
और उसने अपने  नुकीले नाखून प्रणव के गर्दन की ओर  चुभा दिए। और प्रणव की एक दर्दनाक चीख  
गूंज गई।
सुबह बहुत भीड़ थी।लोग तरह तरह की बातें कर रहे थे।
प्रणव की दूसरी पत्नी ,अपने बच्चे के साथ ,उसकी लाश पर पछाड़े मार कर रो रही थी।
त्तब तक हवेली में खबर पहुंच चुकी थी।पहली पत्नी सुदीपा पहुंची ,उसके होंठों पर कुटिलता की मुस्कान स्मित हो रही थी।
लेकिन दिखावे में रोने का नाटक करने लगी।
पुलिस आई।महुआ ने सुदीपा की ओर इशारा किया _दरोगा बाबू,गिरफ्तार कीजिए।
ये हवेली में काला जादू करती थी।
दरोगा ने कहा _,आपको जो भी मालूम है,थाने आकर  विस्तार से बताइए, बिना सबूत हम कैसे किसी को गिरफ्तार कर सकते हैं।
पहले लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया ,और रिपोर्ट  जब आई तो किसी के जहरीले नाखून से प्रणव के शरीर को बेरहमी से नोंचे  निशान मिले।
उसके बाद महुआ थाने गई ,उसने जो बताया उससे सब सकते में आ गए।
दरोगा बाबू_आपने जानिन ,प्रणव  पति बाबू जमींदार छेले (आप जानते हैं की प्रणव जमींदार के बेटे हैं)
सुदीपा उनकी पहली पत्नी थी,पर संतान सुख उन्हें पिछले 4 सालों से नहीं मिला।
पिता ने अपनी मृत्यु से पहले प्रणव को दूसरा ब्याह करने को  कहा था।
प्रणव पहले तैयार नहीं थे ,लेकिन वंश के लिए उन्होंने  मुझसे(महुआ )से  विवाह किया।
विवाह कर के जब मैं वहां आई तो ,मुझे बहुत डरावनी चीजें दिखने लगी ,मैं बहुत डर के साए में जी रही थी।प्रणव को ये सब मेरा नाटक लग रहा था।
एक दिन मैं बेसमेंट की तरफ जा रही ,थी वहां मैंने कुछ रहस्यमई आवाज आती सुनी।मैने झांक कर देखा ,सुदीपा दीदी कुछ चित्र बना ,मंत्र जाप कर रहीं थी।
उस दिन मैं इतना डर गई कि मुझे ज्वर आ गया।डॉक्टर ने कहा ,ये जरूर किसी चीज को देख डर गई है,इसे यहां से कुछ दिन के किसी पहाड़ी जगह में ले जाइए।
अगले दिन ही मैं और प्रणव  दार्जिलिंग के लिए रवाना हुए।वहां हमारा प्रवास बहुत सुखद रहा।और फिर  वहीं जमींदार वंश का वारिस पैदा हुआ।
उसके बाद हमलोग वहां से लौटे ।कुछ दिन सब कुछ ठीक रहा ,लेकिन सुदीपा दीदी और प्रणव में लगातार झगड़े होते रहते ।प्रणव ने उन्हें बांझ कह दिया ,उस दिन वह बहुत तिलमिलाई,और पूरे दिन अपने कमरे से नहीं निकली।
उसी दिन प्रणव ने   मेरे साथ हवेली छोड़ दिया और  ,इस छोटे से शांत फॉर्महाउस में आ गए।और आज ही उनकी मृत्यु हो गई।
पूरी पुलिस टीम ,ने हवेली में छापा मारा ,वहां  बेसमेंट में काला जादू ,शैतानी ताकत को जगाने के लिए हवन ,पूजा हुआ था,वहीं एक महिला की साड़ी पहने गुड़िया भी बरामद हुई।
कड़ाई से पूछ ताछ के बाद सुदीपा ने अपना गुनाह कबूल किया , कि उसने ही निशिर डाक की आराधना कर ,प्रणव को मारने को कहा था।
निशिर डाक तीन बार अपने शिकार का नाम लेकर पुकारती है ,और दरवाजा खुलने पर दूर सुनसान में ले जाकर मार डालती है।
प्रणव को गांव के बारे में पता नहीं था कि अमावस की काली रात को ये घूम कर अपने शिकार  का काम तमाम करती है।संयोग से उस दिन अमावस की रात थी।
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