निशि डाक
दुनिया में बहुत सी ऐसी चीज़ें होती हैं जो दिखती नहीं है पर उनका अस्तित्व होता है। मानो या ना मानो पर रात अपने गहरे अंधेरे के अंदर बहुत सारे राज़ दफ़न कर के रखती है। और यदि यह राज़ खुल जाएं तो इंसानों में इतनी ताकत नहीं है कि वह उनका सामना कर सके।
रात के गर्भ में दफ़न एक ऐसा ही राज़ है निशी डाक।
सोनिया, अपने माता-पिता और भाई कार्तिक के साथ अमेरिका में रहती थी। अपनी शादी के लिए वह पूरे परिवार के साथ डंडिया आई थी। क्योंकि उसका मंगेतर डंडिया में रहता था और उसका सारा परिवार भी यहीं रहता था । इसलिए सबकी रजामंदी से  डेस्टीनेशन वैडिंग रखी। 
ऐसी शादियों के लिए बड़े-बड़े फार्म हाउस की ज़रूरत पड़ती है। उसके पिताजी के दोस्त राम किशन अंकल का दिल्ली के छतरपुर इलाके में बहुत बड़ा सा फार्म हाउस था। बस उसके पापा ने वहीं शादी करने की घोषणा कर दी।
सब इंडिया पहुंच गए। पर किसे पता था कि यह उनकी ज़िन्दगी की आखरी उड़ान बन जाएगी ।
सोनिया के  पापा ने दिल्ली के बेस्ट वेडिंग प्लानर को उस फार्म हाउस की डेकोरेशन का जिम्मा दिया था। उन्होंने बहुत ही सुंदर ढंग से उस फार्महाउस को तैयार किया था। फार्महाउस बहुत बड़ा था ।उसमें एक स्विमिंग पूल भी था। फार्म हाउस के पीछे का सारा एरिया जंगल से गिरा हुआ था।
जिस दिन वह वहां पहुंचे उसी दिन उनके परिवार के कुछ सदस्य वहां पहुंच गए । और बाकी बहुत सारे मेहमान अगले दिन आने वाले थे। सफर की थकान की वजह से सब बहुत थके हुए थे । इसलिए उस दिन  कोई हंगामा नहीं किया। पर रात में उनकी वेडिंग प्लानर अलीशा ने एक छोटी सी पार्टी रखी जिसमें उसने अगले 5 दिनों के सारे कार्यक्रमों के बारे में हम सब को विस्तार पूर्वक बताया।
अभी तक सोनिया के पापा की तरफ से चाचा का परिवार और मम्मी की तरफ से मौसी का परिवार आ चुका था। सब भाई बहन आपस में बहुत समय बाद मिल रहे थे इसलिए सब ने बहुत मस्ती और हंसी मजाक किया। कयोंकि सोनिया के चाचा और मौसी के लड़के आपस में एक दूसरे को जानते थे इसलिए उनकी अलग ही पार्टी चल रही थी।
रात ज्यादा हो गई थी इसलिए सब सोने चले गए।
उसके चचेरे और मम्मी रे भाई अभी भी पार्टी कर रहे थे।
पार्टी के बाद जब वह दोनों अपने कमरे में जाने लगे तो उन्होंने जंगल में एक लड़की को खड़े हुए देखा। वह लड़की खड़े होकर उनको इशारे से अपनी तरफ बुला रही थी। 
” क्या कहता है राहुल चलें क्या?” सोनिया के ममेरे भाई विवेक ने कहा।
” नहीं विवेक हम उस लड़की को जानते नहीं। कैसे चले जाएं ?” राहुल ने घबराते हुए बोला
तभी उस लड़की ने आवाज लगाते हुए विवेक को पुकारा।
” अरे विवेक! यह तो तुझे जानती है । तू कह रहा था कि तूने इसे कभी देखा नहीं? राहुल ने आश्चर्य से पूछा।
‘पता नहीं यह मुझे कैसे जानती है इसका चेहरा भी ढंग से नहीं दिख रहा।” विवेक भी हैरानी में पड़ गया।
तभी उस लड़की ने दोबारा विवेक को आवाज लगाई। अब राहुल पर विवेक दोनों को लगा कि शायद वह लड़की विवेक को पहचानती है । इसलिए दोनों उस लड़की की तरफ चल पड़े ।जब वह उस लड़की के पास पहुंचे तो वह लड़की थोड़ा और आगे चली गई और उन्हें इशारे से अपने पीछे आने को कहा।
विवेक और राहुल थोड़ा नशे में थे इसलिए वह समझ नहीं पा रहे थे कि उनके साथ क्या हो रहा है ।वह चुपचाप उस लड़की के पीछे पीछे चल दिए ।  वह लड़की उन्हें एक बहुत सुनसान रास्ते पर ले गई। फिर एक जगह जाकर वह लड़की रुक गई। विवेक और राहुल जो कि उसके पीछे आ रहे थे वह भी रुक गए। दोनों एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे।
” तुम रुक क्यों गई ?कौन हो तुम?” विवेक ने हैरानी से पूछा।
उस लड़की ने बिना पलटी उत्तर दिया,” यदि मैं तुम्हें बता दूं कि मैं कौन हूं तो तुम डर तो नहीं जाओगे?”
” हम क्यों डरेंगे? तुम हमें जानती हो इसलिए तो हमें यहां बुलाया हःै हम किसी से नहीं डरते बताओ तुम कौन हो?”  राहुल ने उत्तर दिया।
“ठीक है जैसी तुम्हारी इच्छा।” यह कहकर वह लड़की पलटी और उसे देखते ही राहुल और विवेक की चीखें है निकल गई। उस लड़की ने चिल्लाते हुए कहा ,’ तुम तो कह रहे थे कि तुम किसी से नहीं डरत। अब मुझे देखकर क्यों डर रहे हो?”
” कौन हो तुम? हमसे क्या चाहती हो?”  विवेक ने लड़खड़ाती हुई आवाज में पूछा।
‘मैं इस जंगल की सबसे खौफनाक और भयानक आत्मा हूं। और कोई भी मुझसे बच नहीं सकता। तुम उस फार्म हाउस पर आ तो हो गए पर अब कोई बच कर वापस नहीं नहीं जाएगा। आज मैं तुम दोनों का शिकार करूंगी।”
यहां कहकर उस लड़की ने अपना एक बहुत ही भयानक और खौफनाक रूप उन दोनों को दिखाया। विवेक और राहुल उसे देखकर इतना डर गए कि वहीं दोनों को दिल का दौरा पड़ गया और उनकी मौत हो गई।
सुबह सब उठे और अपने अपने कामों पर लग गए। किसी का भी ध्यान विवेक और राहुल की तरफ नहीं गया । कुछ समय बाद जब नाश्ते पर सब मिले तो उन दोनों को वहां ना पाकर बहुत हैरान हुए।
” विवेक और राहुल अभी तक सो कर नहीं उठे। बहुत ही लापरवाह हो गए हैं यह दोनों लड़के। इन्हें पता है कि आज से रिश्तेदारों की भीड़ जमा हो जाएगी। फिर भी इनको अपनी जिम्मेदारी का कोई होश नहीं है।” सोनिया के पिताजी ने थोड़ा नाराज होकर बोला।
” माफ कीजिएगा भैया मैं जाकर उन्हें उठाता हूं ।” सोनिया के चाचा जी ने बोला।
जब वह उनके कमरे में पहुंचे तो वह दोनों वहां नहीं थ। यह देख सोनिया के चाचा जी को बहुत ही गुस्सा आया पर वह शादी की खुशी में खलल नहीं डालना चाहते थे इसलिए चुप रहे।
कुछ ही समय में रिश्तेदारों का आगमन हो गया। आज सोनिया और उसके मंगेतर रौनक की सगाई की रस्म थी। धीरे-धीरे सोनिया का पूरा परिवार इकट्ठा हो गया पर दोपहर तक भी विवेक और राहुल का कोई पता नहीं चला। सब लोगों को उन दोनों लड़कों पर गुस्सा आ रहा था ।उन्हें लगा कि शायद वह दोनों शहर देखने निकल गए हैं ।और इतने मग्न हो गए हैं कि उन्हें सगाई का ख्याल ही नहीं रहा।
शाम को दूल्हे का सारा परिवार फार्म हाउस पर आ पहुंचा। बहुत ही जोर-शोर से सगाई संपन्न हुई। सोनिया को उसके दोनों भाइयों पर बहुत ही गुस्सा आ रहा था। उसने उन दोनों को बहुत फोन किए पर किसी ने फोन नहीं उठाया।
रात तक सबको चिंता होने लगी ।उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। सोनिया के पापा के कहने पर वेडिंग प्लानर अलीशा ने पुलिस को सूचित कर दिया । कुछ ही देर में पुलिस वहां आ पहुंची।
पुलिस ने सबसे पूछताछ शुरू की। उन दोनों के कमरे की भी तलाशी ली । पुलिस के मुताबिक ऐसा लग रहा था कि वह दोनों अपने कमरे में सोने गए ही नहीं । फिर पुलिस ने फार्म हाउस के चौकीदार से बात की ।उन्होंने चौकीदार से पूछा कि कहीं उसने उन दोनों लड़कों को बाहर जाते तो नहीं देखा ? चौकीदार जो कि पहले से ही घबराया  हुआ था बोला कि उसने किसी को भी उस रात बाहर जाते नहीं देखा।
पुलिस के जाने के बाद जब सब लोग हॉल में बैठ कर सोच विचार कर रहे थे तभी वह चौकीदार वहां आया और उसने जो बताया उससे हम सब के रोंगटे खड़े हो गए।
उसने बताया कि फार्म हाउस के पीछे जो जंगल है वहां एक निशी आत्मा का वास है । वह आत्मा बहुत ही खतरनाक ह। वह आत्मा किसी को भी जब अपना शिकार बनाती है तो वह पहले उसका नाम लेती है । यदि उसके दो बार नाम लेने पर वह इंसान उसके पीछे चल देता है तो वह आत्मा उसे जंगल के बीच में ले जाकर मार डालती है।
सब औरतें बहुत ही ज्यादा डर गई। पर सोनिया के पापा को इस बात पर जरा भी यकीन नहीं था। उन्होंने कहा कि आत्मा जैसी कोई चीज़ नहीं होती और चौकीदार को भी डांट दिया कि वह इस तरह की अफवाहें ना फैलाए। राहुल और विवेक दोनों ही जवान लड़के हैं। हो सकता है कि किसी दोस्त के यहां चले गए हो । उनके हिसाब से 1 दिन और इंतजार करना चाहिए।
उस रात सोनिया की मां और मौसी दोनों फार्म हाउस के आंगन में बैठकर राहुल और विवेक की ही बातें कर रहे
थे । तभी सोनिया की मां को अचानक जंगल की तरफ एक बुजुर्ग महिला दिखाई दी। उन्होंने अपनी बहन को भी उस तरफ देखने को कहा। जब सोनिया की मौसी ने भी पलट कर देखा तो उन्हें भी वहां एक बुजुर्ग महिला खड़ी दिखाई दी । वह दोनों आश्चर्य में पड़ गए कि वह बुजुर्ग महिला कौन है?  थोड़ा गौर से देखने पर उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि वह बुजुर्ग महिला उनकी मां जैसी दिख रही थी।
तभी उन्हें एक आवाज सुनाई पड़ी,”सुषमा, कविता हैरान मत हो। मैं ही हूं। मैं जानती हूं कि तुम दोनों अपने बेटों को लेकर बहुत परेशान हो । मुझे मालूम है कि वह दोनों कहां हैं।आओ मेरे पास आओ।”
सोनिया की मां और मौसी अपनी मां की आवाज सुनकर बहुत भावुक हो गईं। उन दोनों की आंखों में आंसू आ गए। सोनिया  की मां उठकर उनकी तरफ जाने लगी तो सोनिया की मौसी ने उन्हें रोक लिया। वह बोलीं,” दीदी मां को गुजरे एक जमाना हो गया है। महा यहां कैसे आ सकती हैं।”
उस बुजुर्ग महिला ने फिर उन्हें आवाज लगाई,” सुषमा, कविता तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है। मेरी दोनों बच्चियां अपने बच्चों को लेकर परेशान हैं। मैं तो तुम्हें तुम्हारे बच्चों तक लेकर जा रही हूं। और तुम मुझ पर ही अविश्वास दिखा रही हो।”
“नहीं कविता यह मां ही हैं। देखो वह हमें बुला रही हैं। वह हमें विवेक और राहुल तक लेकर जाएंगी। एक मां ही जानती है कि मां का दिल अपने बच्चों के लिए कितना तड़पता है। विवेक भले ही मेरी देवरानी का बेटा है पर है तो इस परिवार का ही बच्चा। और राहुल तो मेरे अपने बेटे की तरह है। चलो उठो।” सोनिया की  मां ने कहा।
वह दोनों उठकर उस बुजुर्ग महिला के पास चलीं गईं। जब उस महिला ने उन दोनों को आते देखा तो उसने उन्हें इशारे से अपने पीछे आने को कहा। जंगल में बहुत गहरा अंधेरा था। ऊंचे ऊंचे पेड़ मानो डरा रहे थे। हर तरफ सिर्फ सन्नाटा ही पसरा हुआ था। सोनिया की मां और मौसी उस बुजुर्ग महिला के पीछे चुपचाप चलती जा रही थे वह दोनों अंदर से बहुत डरी और सहमी हुई थी उन्हें बहुत आश्चर्य हो रहा था कि यदि यह उनकी मां है तो उनसे बात क्यों नहीं कर रही।
तभी एक सुनसान जगह पर जाकर वह बुजुर्ग महिला रुक गई। सोनिया की मां और मौसी उस जगह को हैरत भरी निगाहों से देखने लगे।
“यह हमें कहां ले आए आप? कहां है राहुल और अब विवेक?” सोनिया की मौसी बोली।
“यही हैं तुम्हारी नजरों के सामने नजरें उठा कर तो देखो।” वह बुजुर्ग औरत बोली।
उन दोनों ने इधर-उधर देखा। तभी सोनिया की मां की चीख निकल गई। राहुल और विवेक की लाश एक पेड़ पर लटकी हुई थी। 
“मां यह सब क्या है ? यह दोनों पेड़ पर क्यों लटके हुए हैं?” सोनिया की मां चीखते हुए बोली।
“यह लोग तो लटक गए अब तुम दोनों की बारी है।”
“यह आप क्या कह रहे हैं मां?” 
उस बुजुर्ग औरत ने अचानक अपना रूप बदल लिया और अब वह पूरी तरह से अपने चुड़ैल के अवतार में आ गई। और सोनिया की मासी के पास आकर उसके बालों को खींचते हुए बोली,”बहुत हो गया तेरा यह मां का नाटक, अब मैं तुझे भी तेरे बेटे के पास है पहुंचा देती हूं?”
यह कहकर उस चुड़ैल ने सोनिया की मौसी को हवा में घुमा दिया और बहुत दूर पटक दिया। सोनिया की मौसी की चीखें और उस चुड़ैल की भयानक हंसी जंगल में गूंजने लगी। यह देख सोनिया की मां वहां से वापस फार्म हाउस की तरफ भागने लगी। पर वह कुछ दूर ही गई थी कि उस चुड़ैल ने उसको पकड़ लिया।
“तू भाग कर कहां जाएगी तेरा भी तो वही हाल करना है मुझे जो तेरी बहन का अभी-अभी किया है।” उस चुडैल की आवाज और चेहरा इतनी भयानक था कि सोनिया की मां वहीं बेहोश होकर गिर पड़ीं।
अगले दिन सुबह से सब सोनिया की मां और उसकी मौसी को ढूंढने में लगे हुए थे। आज सोनिया की मेहंदी की रस्म थी। सोनिया रोते हुए फार्म हाउस के हर कमरे में अपनी मां को ढूंढ रही थी। सब जगह ढूंढने पर भी जब वह नहीं मिले तो सब हताश हो गए।
तभी फार्म हाउस का चौकीदार फिर से उनके पास आया और उसने वही सब बातें दोहराईं। सोनिया के पापा ने उसे फिर से वहां से डांट कर भगा दिया। पर इस बार सोनिया के मन में कुछ खटका सा हुआ। उसे लगा कि शायद यह चौकीदार सच बोल रहा है ।अगर ऐसा कुछ है तो उसे जंगल में जाकर देखना चाहिए। तभी उसने अपने मंगेतर रौनक को फोन लगाया और उसे सारी परिस्थिति से अवगत कराया।
रौनक ने उसे फार्म हाउस के बाहर उसका इंतजार करने को कहा। 
थोड़े इंतजार के बाद रौनक वहां आ गया और वह दोनों उस घने जंगल के अंदर चले गए। 2 घंटे बीत चुके थे पर उन्हें कुछ भी ऐसा दिखाई नहीं दे रहा था जिससे उस चौकीदार की बात सच साबित हो। 
शाम होने को आई थी । वह दोनों जंगल के इतने भीतर चले गए थे कि वहां से जल्दी से बाहर आना नामुमकिन था। फिर भी वह दोनों हिम्मत कर धीरे-धीरे जंगल से फार्म हाउस के रास्ते पर चल पड़े। काफी समय बीतने के बाद भी जब वह जंगल से बाहर नहीं निकल पाए तब उन्हें यह एहसास हुआ कि शायद वह जंगल में खो गए हैं।
तभी उन्हें जंगल में एक छोटा सा तालाब दिखाई दिया जिसके ऊपर एक छोटा सा पुल बना हुआ था। वह पुल देखने में बहुत ही डरावना और अजीब सा प्रतीत हो रहा था। तभी उन्हें पुल के दूसरी तरफ सोनिया की मां खड़ी हुई नजर आई। सोनिया अपनी मां को देखकर बहुत खुश हो गई । उसकी मां ने उसे आवाज लगाई,” सोनिया मुझे यहां से ले चलो।”
सोनिया उस पुल की तरफ बढ़ने लगे तभी रौनक ने उसे रोकते हुए कहा ,”रुको सोनिया, हो सकता है कि उस चौकीदार की बात सच हो। और यह तुम्हारी मां नहीं एक छलावा हो।”
तभी उसकी मां ने सोनिया को फिर से  रोते हुए आवाज़ लगाई, “मुझे बचा लो सोनिया मुझे यहां से घर ले चलो।”
“नहीं रौनक यह मेरी मां ही हैं। हो सकता है कि वह मुसीबत में हो। हमें चलकर उन्हें बचाना चाहिए। जल्दी चलो रौनक।” सोनिया ने गिड़गिड़ाते हुए हुए रौनक से कहा।
वह दोनों उस पुल पर चढ़ गए और उसे पार करने लगे ।बहुत अजीब सी बात थी कि वह पुल खत्म ही नहीं हो रहा था। उन दोनों को यह बात बहुत अजीब लगी क्योंकि जब उन्होंने दूर से देखा था तो वह एक छोटा सा पुल था। अब उन दोनों को लगा कि शायद वह उस चुड़ैल के छलावे में फंस चुके हैं । यह उनकी मां नहीं यह तो निशी डाक है।
वह दोनों उसी समय वापस मुड़ गए ।और उल्टे पैर भागने लगे। तभी एक दम से बहुत तेज हवा चलने लगीं। और एक बहुत तेज हवा के झोंके ने रोनक को अपनी चपेट में ले लिया और उसे वहां से गायब कर दिया। सोनिया रौनक को अपने साथ ना देख कर चिल्लाने लगी। तभी वह चुड़ैल बिजली से भी तेज रफ्तार से उसकी तरफ आई और बोली,” चिल्ला मत । मुझे चीखने चिल्लाने वाले पसंद नहीं हैं। अब मैं तेरा भी वही हाल करूंगी जो बाकी सब का किया है।”
जैसे ही उस चुड़ैल ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाया सोनिया ने अपनी आंखें बंद कर लीं। तभी सोनिया को उस चुड़ैल की दर्द से चीखने और कराहने की आवाज़ सुनाई दी। उसने अपनी आंखें खोल कर देखा तो वह हैरान रह गयी। सामने काले वस्त्रों में बड़ी सी माला गले में लटकाए एक अघोरी बाबा वहां खड़ा था । उसने उस चुड़ैल के ऊपर  राख फेंकी जिससे वह चुड़ैल दर्द से तड़पने लगी। और देखते ही देखते वहां से गायब हो गई।
सोनिया ने उस अघोरी बाबा को धन्यवाद किया। अघोरी बाबा ने उसे फार्म हाउस तक पहुंचा दिया। वहां पहुंचकर सोनिया ने सब कुछ अपने पापा और बाकी सब लोगों को बताया। जब यह सब उस अघोरी बाबा ने सुना तो वह बोला,”आपको इस फार्म हाउस में नहीं आना चाहिए था। शायद इस फार्म हाउस की कहानी आप ने नहीं सुनी है। जो भी इस फार्म हाउस में रहने आता है यह चुड़ैल उन सब को खत्म कर देती है। इस चुड़ैल से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है कि इसके आवाज़ देने पर हमें पलट कर नहीं देखना चाहिए। आपने अपने परिवार के काफी सदस्यों को खो दिया। अब आप लोगों के लिए यही सही रहेगा कि आप सब इस जगह को छोड़कर तुरंत यहां से चले जाएं।”
अगले दिन सभी रिश्तेदार बहुत भारी मन से उस फार्म हाउस को छोड़कर जाने लगे। सोनिया , जो की शादी करने के लिए अमेरिका से इंडिया आई थी, उसने अपनी मां, अपने मंगेतर, और अपने भाइयों को खो दिया था। अब उसकी जिंदगी में कुछ नहीं बचा था। वह अपने साथ एक ऐसा जख्म और ऐसी डरावनी यादें लेकर जा रही थी जो रह रह कर उसे हमेशा सताएंगी। वह सारी जिंदगी यही सोचती रहेगी कि काश! वह शादी के लिए इंडिया ना आई होती तो आज उसकी मां उसकी मौसी और उसके दोनों भाई जिंदा होते और खुशहाल होते। दूसरी तरफ सोनिया के पापा को यह अफसोस था कि उन्होंने उस चौकीदार की बात नहीं मानी काश वह उस चौकीदार की बात मान जाते तो वह अपनी पत्नी अपनी साली और सोनिया के मंगेतर को तो मरने से बचा लेते।
रात के अंधेरे में वाकई में बहुत सारे गहरे राज़ छुपे होते हैं।
यदि कोई भी हमें इनसे अवगत कराना चाहे तो हमें एक बार उसकी बात अवश्य माननी चाहिए ।हो सकता है कि ऐसा करने  से हम अपनी या किसी अपने की जान बचा लें।
समाप्त
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