पटरियों पर सरपट भागती रेलगाड़ी , सायं – सायं चलती हवा , बेतरतीब गुजरते खेत – खलिहान और खिड़की के पास बैठी मिष्ठी पुराने दिनों की यादों को याद करती हुई मुस्कुराएं जा रही थी । सामने वाली सीट पर बैठे लड़के को अपनी तरफ मुस्कुराते हुए देखकर वह भी मुस्कुरा देती है ।
मिष्ठी को मुस्कुराते हुए देखकर उस लड़के में मिष्ठी से बात करने की हिम्मत आती है और वह कहता है कि लगता है आपने कुछ पुरानी यादों को अपने पिटारे से बहुत दिनों के बाद निकाला है तभी तों आपके चेहरे पर यह खुबसूरत मुस्कान फैल रही है ।
मिष्ठी को उस लड़के की बातें और पहनावा देखकर लगता है कि वह लड़का शरीफ है । वह उस लड़के की तरफ देखते हुए कहती है कि आपने सही कहा ।
इस दौड़ – धूप वाली जिंदगी में वक्त ही कहाॅं मिलता है कि हम बीती बातों को याद कर सकें और मुम्बई जैसे शहर में तो यह लगभग असंभव ही है ।
आप मुम्बई में रहती है ?? उस लड़के ने मिष्ठी से पूछा ।
हाॅं मिष्ठी ने मुस्कराते हुए कहा ।
मैं भी वहीं रहता हूॅं और एक कंपनी में जॉब करता हूॅं और पाॅंच सालों के बाद वर्धमान अपने शहर जा रहा हूॅं ।
मैं भी तो वर्धमान ही जा रही हूॅं और वह भी दो साल के बाद । मैं बी. एस . सी. सेकेंड इयर की स्टूडेंट हूॅं और मुंबई में ही अपने मम्मी – पापा के साथ रहती हूॅं । वर्धमान के एक गाॅंव में मेरे दादा-दादी, चाचा-चाची और मेरे कजिन भाई – बहन रहते हैं ।
मिष्ठी और वह लड़का पश्चिम बंगाल के एक ही जिले के होने के कारण बातें करने में मशगूल हो जातें हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता कि कब वर्धमान आ गया है ।
स्टेशन पर मिष्ठी और वह लड़का उतरते हैं । दोनों के ही कजन्स उन्हें लेने आते हैं । मिष्ठी और वह लड़का एक-दूसरे को बाय बोल कर अपने – अपने घरों की तरफ निकल पड़ते हैं । दोनों को एक-दूसरे को बाय बोलते और एक साथ ट्रेन से उतरते देख कर दोनों के ही कजन्स उन्हें गर्ल फ्रेंड और ब्याय फ्रेंड कहकर चिढ़ाने लगते है ।
मिष्ठी दो सालों के बाद दादी – दादा और चाचा – चाची के घर आकर ब बहुत खुश थी । दादी तो मिष्ठी की बलाएं लेती नहीं थक रही थी । मिष्ठी भी दादी को बहुत मानती थी तभी तों जैसे ही काॅलेज की छुट्टी शुरू हुई अपने मम्मी – पापा को साथ वर्धमान आने का उसने प्लान कर लिया था । ऐन वक्त पर उसके पापा की कंपनी में इम्पोर्टेंट मीटिंग निकल आई जिसके कारण उसे अकेले ही दादी के पास आना पड़ा था ।
मिष्ठी का गाॅंव हरियाली वाला गाॅंव माना जाता था ।
आस-पास पेड़ ही पेड़ थे । मिष्ठी के घर के आगे कोई 500 मीटर के बाद घने जंगल का एरिया शुरू हो जाता था । मिष्ठी की दादी धार्मिक प्रवृत्ति की औरत थी । वह अपना अधिकांश समय पूजा-अर्चना और भगवान की भक्ति और साधना में ही व्यतीत करती थी ।
मिष्ठी को आएं दो घंटे बीत चुके थे और इन दो घंटों में लगभग चार – पाॅंच बार लाइट चली गई थी । जून का महीना और ऊपर से गर्म तपती धूप ने सबका जीना बेहाल कर रखा था । मिष्ठी का बहुत बुरा हाल था । वह अपनी दादी को मना कर रही थी कि हाथ वाला पंखा ज्यादा देर तक नहीं झले क्योंकि उनके हाथ दुखने लगते लेकिन उसकी दादी कहाॅं मानने वाली थी
वह हाथ पंखा तब तक झलती जब तक कि लाइट नही आ जाती थी और लाइट के कटते ही वह फिर से मिष्ठी के पास आ जाती है हाथ पंखा झलने लगती ।
रात में जब हवाएं चलने के कारण मौसम कुछ सर्द हुआ तब जाकर मिष्ठी को राहत महसूस हुई । वह बरामदे में अपने कजन्स के साथ बैठ गई और मुंबई की बातों से बात करने का सिलसिला शुरू हुआ ।
मिष्ठी ने मुंबई के बारे में बताने के बाद एक गहरी सांस ली और कहा कि मैंने मुम्बई के बारे में तों बहुत कुछ बता दिया अब तुम लोग भी मुझे बंगाल के बारे में बताओं क्योंकि मुम्बई में पैदा होने के साथ-साथ वह बस छुट्टियों में ही बंगाल आ पाती थी ।
उसके कजन भाई दीपक ने कहना शुरू किया और मिष्ठी की तरफ देखते हुए कहा कि आज मैं बंगाल की लोककथा से जुड़ी निशि डाक के बारे में तुम्हें बताने जा रहा हूॅं । हम सब बंगाली है तों तुम्हें इतना तों पता होगा ना कि निशि का अर्थ रात होता है और डाक का मतलब पुकारना होता है और निशि डाक का मतलब रात में पुकारने वाली । इस कथा में यह कहा जाता है कि निशि डाक की भूतनी या चुड़ैल लोगों को अमावस्या की रात या उसके आसपास की रात में लोगों को उसके अपने घरवालों की आवाज निकाल कर दो बार बुलाती है और अगर वह इंसान उसकी बात सुनकर उसके पीछे चला जाता है तों वह उसे मार देती है ।
मिष्ठी को अपने भाई दीपक द्वारा कही बातों पर विश्वास नहीं होता है और वह पास ही एक ओर बैठे अपने दादा जी से पूछती है कि जैसा दीपक ने कहा क्या वह सही है ??
मिष्ठी के दादा जी को भूतों – प्रेतों की बातों पर विश्वास नहीं होता है इसलिए वह मिष्ठी से कहते हैं कि
यह सब तुम्हें डराने के लिए तुमसे मजाक कर रहें हैं ।
यह सब कुछ बस कहने की बातें होती हैं असल में ऐसा कुछ भी नहीं होता है ।
मिष्ठी की दादी रात के खाने के लिए सबको बुलाने आ जाती है और बातों का सिलसिला वही थम जाता है । खाने के बाद सभी घर के बाहर गार्डेन में टहलते हैं और जैसे ही सोने के लिए अपने – अपने कमरे में जाने वाले ही होते हैं कि तभी लाइट चली जाती है ।
सभी का बिस्तर बरामदे में ही लगाया जाता है और सब सो जाते हैं । आधी रात का समय हो चुका होता है लेकिन मिष्ठी गर्मी की वजह से अभी तक सोई नहीं हुई रहती है । वह अपना मोबाइल चला ही रही होती है की उसे लगता है कि कोई उसका नाम लेकर पुकार रहा है । वह सोएं – सोएं ही चारों तरफ देखने की कोशिश करती है लेकिन उसे कोई भी दिखाई नहीं पड़ता हैं । अपने मन का वहम समझ वह फिर से अपना मोबाइल चलाने लगती है ।
कुछ देर बाद उसे लगता है कि गार्डेन से उसकी दादी उसे बुला रही है । वह बिस्तर से नीचे उतर कर धीरे – धीरे गार्डेन की तरफ जाती है लेकिन गार्डेन में उसे कोई भी नहीं दिखता है । वह वापस अपने घर के बरामदे से होते हुए घर के अंदर दादी के कमरे में जाती है तो वह देखती है कि दादी और दादा जी तो गहरी नींद में सो रहे हैं । मिष्ठी को बहुत नींद आने लगती है और वह दादी के पास ही सो जाती है ।
मिष्ठी सुबह उठकर दादी को खोजते हुए घर के पूजा रूम में जाती है जहाॅं दादी उसे मिल जाती है । मिष्ठी दादी को पूजा करते हुए देखती रहती है । पूजा खत्म होने के बाद मिष्ठी की दादी प्यार से आरती की थाली मिष्ठी के पास लेकर जाती है और उसके सर पर आरती की ज्योत लगाती है ।
प्रसाद देते हुए मिष्ठी की दादी मिष्ठी से कहती है कि हमें अपने ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए और कोई भी मुश्किल घड़ी आएं ईश्वर को सच्चे मन से याद करना चाहिए । ईश्वर हमें कुछ – ना – कुछ रास्ता अवश्य दिखाते हैं । मिष्ठी हाॅं में सिर हिला कर दादी को प्रणाम करती है और दादी उसे गले लगा लेती है ।
मिष्ठी दादी को कल रात वाली घटना बताना चाहती है लेकिन दादी परेशान होंगी यह सोच कर वह चुप रह जाती है । मिष्ठी यह भी सोचती है कि कहीं मेरे भाई – बहनों में से ही कोई मुझे डराने के इरादे से तो मेरे साथ यह हरकत नहीं कर रहा है ??
मिष्ठी सोचती है कि आज अगर किसी ने भी मुझे डराने के लिए कल वाली हरकत दोहराई तों मैं उसका पर्दाफाश आज ही कर दूंगी । उसे भी अपने दादा जी
की तरह भूत – प्रेत और चुड़ैल पर विश्वास नहीं है ।
आज रात जब अपने कमरे में अपनी कजन सिस्टर के साथ सोई रहती है उसे अपने कजन भाई की आवाज सुनाई देती है जों उसे मिष्ठी … मिष्ठी कहकर पुकार रहा होता है । उसका कजन भाई जिस कमरे में सोया हुआ रहता है उस कमरे में जब मिष्ठी जाती है तों देखती है कि वह तों अपने बिस्तर पर है ही नहीं ।
मिष्ठी का शक यकीन में बदल जाता है और वह फिर से अपना नाम आवाज लगाने के पीछे चल पड़ती है । वह देखती है कि एक काला साया उसके चार हाथ की दूरी पर घर के गार्डेन के बाहर चल रहा है । वह भी उसके पीछे चुपचाप उसका पर्दाफाश करने का इरादा लिए निकल पड़ती है ।
वह काला साया पेड़ों के झुरमुटों से निकल कर आगे बढ़ता ही जाता है । मिष्ठी के कानों में झिंगुरों और कीड़े – मकौड़ों का क्रुर रूंदन सुनाई पड़ता है । वह अपने मोबाइल के लाइट की मदद से आगे बढ़ती रहती है । जैसे – जैसे वह आगे बढ़ती है जंगल के दोनो तरफ के पेड़ों पर सन्नाटा पसर जाता है ।
मिष्ठी को सिवाए अपने पैरों की आहट के कुछ नहीं सुनाई पड़ रहा होता है । वह चारो तरफ देखती है लेकिन वही सन्नाटा उसे दिखाई पड़ता है । वह सोचती है कि अभी कुछ देर पहले तक तों कीड़े – मकौड़ों की आवाज स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी लेकिन थोड़ी ही देर में ऐसा क्या हुआ कि अब मुझे सिर्फ अपने कदमों की ही आहट सुनाई दे रही है ?
मिष्ठी सोच ही रही होती है कि तभी उसे लगता है कि उसके पीछे कुछ तों है । वह पीछे मुड़कर देखती है तो उसे काली अंधेरी रात के सिवा कुछ नहीं दिखाई और सुनाई ही पड़ता है । सायं – सायं हवा की आवाज कुछ देर पहले मिष्ठी के कानों के परदे तक को महसूस हो रहें थे वह अब नदारद होकर अपनी उपस्थिति की पहचान तक खो चुके थे ।
मिष्ठी जैसे ही आगे मुड़ती है उसका दिल दहल उठता है । सामने का मंजर देख वह काॅंप जाती है । जिस काले साये का पीछा वह इतनी देर से कर रही थी अब वही काला साया उससे दो गज की दूरी पर खड़ी थी ।
मिष्ठी देखती है कि उस काले साये का तो कोई चेहरा ही नहीं है । उसने सफ़ेद कपड़े पहन रखें है । ना तों उसकी ऑंखें ही हैं और ना ही कान ,मुॅंह और नाक । बाल बहुत लंबे है और हाथ और पैर इतने लंबे – लंबे थे कि वह उसकी गिरफ्त में आसानी से आ जाएं ।
काला साया उसको अपने लंबे हाथ की सहायता से पकड़ कर उसे मारने के लिए नीचे जमीन पर गिरा देती है। मिष्ठी अपने पूर्वजों के ईश्वर भगवान शिव का स्मरण करने लगती है । वह काला साया मिष्ठी को पकड़ कर मारने ही वाली होती है कि तभी उसके शरीर पर राख आकर गिरती है । राख की शक्ति से वह कमजोर पड़ने लगती है । वह उठने की कोशिश करती है लेकिन तभी एक बार फिर से उस पर राख फेंका जाता है और वह कमजोर होकर जमीन पर गिर जाती है । काला साया हिम्मत जुटा कर कहती है कि ऐ बुढ़िया ! मैंने तुझे पिछली बार ही कहा था कि मेरे शिकार के रास्ते में मत आना लेकिन एक बार फिर से तू मेरे सामने आई है तों आज तुझे और तेरी पोती दोनों को ही परलोक भेज कर रहूंगी ।
मिष्ठी देखती है कि उसकी दादी राख का बड़ा सा कटोरा लिए खड़ी है । मिष्ठी दौड़ कर अपनी दादी के गले लग जाती है । उसकी दादी भी उसे एक हाथ से जोर से पकड़ लेती है ।
दादी काले साये की तरफ गुस्से से देखते हुए कहती है कि तू जब भी मेरे परिवार की ओर अपनी दुष्ट दृष्टि डालेगी तब -तब तुझे इस शिव भक्त बुढ़िया का सामना करना पड़ेगा । तुम में अगर ढे़र सारी शैतानी शक्तियों का वास है तो मेरे पास भी भगवान शिव के आशीर्वाद के रूप में यह राख है जो सदियों से हमारे परिवार को तुझ जैसी बुरी शक्तियों से बचाती आ रही है ।
भगवान शिव का नाम सुनते ही वह काला साया वहाॅं से अदृश्य हो जाता है और मिष्ठी अपनी दादी के साथ घर वापस लौट कर आ जाती है । मिष्ठी बहुत डरी हुई होती है । मिष्ठी को डरा देखकर उसकी दादी उसे समझाती है कि आगे से वह ऐसे किसी को बिना बताए कहीं भी नहीं जाएंगी ।
मिष्ठी अपनी दादी से पूछती है कि वह ऐन वक्त पर वहाॅं कैसे पहुॅंच गई ??
दादी कहती है कि जैसे ही वह काला साया इस घर के चारों ओर मेरे द्वारा बनाएं हुई रेखा के बाहर तुम्हें ले जा रही थी वैसे ही मुझे आभास हो गया था कि मेरे घर में से किसी को वह ले जा रही है क्योंकि इससेे पहले भी इसने एक बार तेरे चाचाजी को ले जाने की कोशिश की थी । उस समय भी मैंने इसे वार्निंग दी थी लेकिन इसने दुबारा तुम्हें इस जाल में फॅंसा लिया ।
मिष्ठी अपनी दादी से पूछती है कि क्या भगवान शिव के राख से वह काला साया मर गई ??
दादी कहती हैं कि नहीं ! मुझमें इतनी शक्ति नहीं कि मैं इस राख से उसको मार सकूं । मैं उसे बस कमजोर करती हूॅं लेकिन इस बार मैंने उस पर दो बार राख फेंका है जिसके प्रभाव से वह बहुत कमजोर हो चुकी होगी और उसे अपनी खोई शक्ति प्राप्त करने में समय लगेगा ।
मिष्ठी दादी के गले लग जाती है और दादी उसके सिर को अपनी गोद में रख कर बैठ जाती है और उसके माथे पर अपने दाएं हाथ रखकर दाएं से बाएं की तरफ हाथ फेरती है। ऐसा वह पाॅंच बार करती है ।
दादी मिष्ठी की तरफ देखते हुए कहती है कि निश्चिंत होकर सो जा मेरी बच्ची ! कल सुबह जब तुम जागोगी तुम्हें कुछ भी याद नहीं होगा और यही तुम्हारे लिए सही हैं कि तुम आज रात की घटना भूल जाओ ।
यह कहकर दादी मिष्ठी को पकड़ कर सो जाती है ।

धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
” गुॅंजन कमल ” 💗💞💓