नित सुबह शाम मैं जपती, फिर भी शिव नहीं आते हैं ,

क्या कहती है हाथों की ये लकीरे कहाँ समझ मैं पाती हूँ,

नंदी जी के कान में कहकर अपनी अर्जी लगाती हूँ,

भोले – भोले कहकर शिव को अपने पास बुलाती हूँ

भोले भोले कहकर शिव को…………..

हर रोज आश में हूँ रहती, कभी तो शिव जी आयेंगे,

सुन ले गौरा पास हूँ मैं तेरे यह कह मुझे जगायेंगे

जीवन में है दुःखों का सागर, फिर भी हर क्षण मुस्कुराती हूँ, उठाए न कोई सवाल मेरे शिव पर ,ये सोच कष्टों को छुपाती हूँ उठाये न कोई सवाल मेरे शिव पर……….

स्वप्न में मेरे आते हैं शिव, किंतु मुझे नहीं जगाते हैं शिव,

आकर जाना जाकर आना मुझे ना अब ये भाता है,

अधूरा सा ये मिलन हमारा मुझको बड़ा सताता है

अधूरा सा ये मिलन हमारा …………

हुई है त्रुटि तो सजा दो देव, न हो तो मिटा दो देव,

लेकिन अपनी कृपा की एक बूंद ही तो बरसा दो देव,

स्नान कराकर उन्हें जब मैं भोग लगाती हूँ,

मानो जीवन में सर्वस्व है पा लिया ये सोच इठलाती हूँ

मानो जीवन में सर्वस्व है पा लिया……………..

नित सुबह शाम मैं जपती हूँ फिर भी शिव नहीं आते हैं ।

गौरी तिवारी भागलपुर बिहार

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Gouri tiwari

By Gouri tiwari

I am student as well as a writer

2 thought on “नित सुबह शाम मैं जपती फिर भी शिव नहीं आते हैं”
  1. 👌👍
    कुछ मेरे पास भी है👇

    बेफिक्र काशी की गलियों में घूमना चाहता हूं।
    मैं हर पल सिर्फ तुझे ही महसूस करना चाहता हूं।।
    जय हो गुरु महादेव 🙏
    📙🖊️ शुभम् सैन सनातनी

  2. 👌👍
    कुछ मेरे पास भी है 👇
    बेफ़िक्र काशी की गलियों में घूमना चाहता हूं।
    मैं हर पल सिर्फ तुझे ही महसूस करना चाहता हूं।।
    जय हो गुरु महादेव 🙏

    📙🖊️ शुभम् सैन सनातनी

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