कविता
विषय
नारी मां है।
नारी उमा है,।
नारी रमा है।
नारी में ही ये जग रमा है।
नारी भक्ति है।
नारी शक्ति है।
नर की नारी में आसक्ति है।
नारी ही आदि शक्ति है।
शिव के संग शिवा है नारी।
श्री पति संग रमा है नारी।
विधि के संग शारदे नारी।
सृष्टि सृजन करती है नारी।
घर घर पूजी जाती नारी।
कभी तुलसी रूप में।
कभी लक्ष्मी रुप मे।
नारी नर की जननी है।
नारी ही जगजननी है।
जग में नारी की माया है।
नारी ही महामाया है।
माया में जग भरमाया है।
नारी में जगत समाया है।
रूप अनेकों धारे नारी।
मां बेटी बहिना है नारी।
पावन पूजनीय है नारी।
हर रूप में उपकारी है नारी।
कृष्ण बलराम की मां है नारी।
बलराम यादव देवरा छतरपुर