हाँ! है गर्व तुम्हें हो पुरुष तुम, नर हो- सृष्टि के रक्षक हो- मेरे गर्भ से उत्पन्न हुए हो- नारी हूँ मैं!!
एक हूँ मैं और अनेक भी हूँ मैं-
जिसकी रक्षा करने का दम भरते हो-जिसका अंश भर हो तुम- वह सम्पूर्ण सृष्टि हूँ मैं!
मेनका हूं- रंभा हूँ- हाँ सौंदर्या हूँ मैं- लज्जा हूँ-
सौभाग्या हूँ मैं- इंद्राणी भी हूँ मैं!
यति, योगिनी, माया, दुर्गा निर्भया– सब ही तो हूँ मैं!
मोहन की मोहिनी, नारायण की नारायणी हूँ मैं
कृष्ण की बंसी में जो धुन बन कर बस्ती हूं वो राधा हूँ मैं
मैं तारिणी- भागीरथी,
बद्री विशाल की भव्यता को
दिव्यता प्रदान करती जो करती,
सूर्य की अल्का हूँ- अलकनंदा हूँ मैं
मैं पापमोचिनी गंगा हूँ,
करुणामयी कालिंदी हूँ-
ममतामयी नर्मदा भी मैं…
राजा हैं राम जिस भूमि के,
उनके हृदय में बसने वाली- भूमिजा हूँ मैं-
मैं सृष्टि हूँ- जीवनदायिनी प्रकृति हूँ मैं
हाँ- स्त्री हूँ मैं!! सौंदर्या हूँ- लज्जा हूँ- सौभाग्या हूँ मैं!
मोहन की मोहिनी, नारायण की नारायणी हूँ मैं!
कृष्ण की बंसी में जो धुन बन कर बस्ती हूं
भाव भरी वो राधा हूँ मैं!
शुभ-लाभ दायिनी- विघ्नकारी,
सुखकारी रिद्धि-सिद्धि हूँ मैं!
वेद वाणी हूँ गायत्री हूँ-
ब्रह्म की ब्रह्माणी- ज्ञानपुंज सरस्वती- वीणावाहिनी हूँ मैं
तुम पूजते है मूरत मूरत जिसको,
इस जगत् में चलायमान वही लक्ष्मी हूँ मैं..
हाँ! स्त्री हूँ मैं- तुम शक्तिमान हो अगर तो जान लो-
जिसने वरण किया तुम्हारा, तुम शिव हो, तो शक्ति हूँ मैं !
शालिनी अग्रवाल
जलंधर