काली, लक्ष्मी, दूर्गा का स्वरूप है नारी
नारी मे निहित है ये तीनो रुप
दुनिया मानेगी नारी की महिमा का स्वरुप
खेतो मे लहलहाती फसल है तू
इन्द्रधनुष के सातों रंग है तू
जीवन का आधार है तू
सफलता का ऊचा आकाश है तू
नारी तू अबला नहीं सबला है
यही तो कमला, विमला व सरला है
नारी के अनेक रुप
वह जुल्म नहीं सहेगी
और गुलामी ना कर पाएगी
वह भी पढने जाएगी, अपना भविष्य उज्जवल बनाएगी
रंजना झा