नारी, कब तुम अबला
नारी, तुम हो सबला
रवि रथ पर जो अग्र विराजें
घोर तिमिर लख जिनको भाजे
भानुप्रिया हैं देवी ऊषा
कैसे उनको समझूं अबला
नारी, कब तुम अबला
नारी, तुम हो सबला
यम के पीछे जाने बालीं
मृत्युद्वार से पति लाने बालीं
सत्यवान की भार्या सावित्री
कैसे उनको समझूं अबला
नारी, कब तुम अबला
नारी तुम हो सबला
श्री हरि चरणों से जो जन्मीं
जग के पाप ताप जो हरतीं
सगर सुतों को तारण हारी
कैसे त्रिपथगामिनी अबला
नारी, कब तुम अबला
नारी तुम हो सबला
महत तपस्या करने बालीं
शिव की जो अर्धांगिनी प्यारी
पुत्री शैल और स्कंद मात जो
कैसे हैं वह अबला
नारी, कब तुम अबला
नारी, तुम हो सबला
बृह्मपाप दग्ध पुरंदर
कामी नहुष नहीं प्रतिउत्तर
बुद्धि शक्ति सतीत्व बचाती
कैसे शची हुईं फिर अबला
नारी, कब तुम अबला
नारी, तुम हो सबला
तीन लोक में त्रास बड़ी है
धर्म त्रास, भयभीत घड़ी है
आदिशक्ति का रूप कहाती
नारी तुम हो सबला
नारी, कब तुम अबला
नारी, तुम हो सबला
दिवा शंकर सारस्वत ‘प्रशांत’