कितना अजीब नाता है माह,
 दिसंबर और जनवरी का!
बीते यादों और  नए ,
वादों व इरादों का !!
यूं तो दोनो की चाल एक ,
बात व्यवहार भी एक !
तरीका एक तारीखे एक,
मौसम एक ऋतुएं एक !!
पर अंदाज और पहचान  ,
दोनो के हैं अलग अलग,!
एक की जुदाई दूजे की, 
अगुवाई ये कैसा है गजब,!!
दोनो में  इतनी  गहराई,
वक्त के हैं ये राही!
दोनो ने ठोकर है खाई,
दोनो की एक है माई !!
एक है याद तो दूजा है आस,
एक है अनुभव तो दूजा विश्वास!
जुड़े हैं दोनो दिल से ऐसे कि, 
दूर रहकर भी साथ निभाते है मन से!!
दिसम्बर की रीति रिवाजों को,
 जनवरी अपनाता है!
जनवरी के कायदों वादों  को ,
दिसंबर भी निभाता हैं!!
कैसा इनका नाता है एक ,
दूर जाता है दूजा पास आता है!
दूर जाते ही हालात बदल जाते है ,
पास आते ही साल बदल जाते है!!
कैसा ये समय है 
एक के जुदाई पर हम ,
नाचते और गाते है!
दूजे के आगमन की खुशियां,
 दिल खोल के मनाते हैं!!
जुदाई पर आगमन की चहक,
 भारी पड़ जाती है !
क्या करें सदियों से चली आई ,
ये रीति दुनिया निभाती है !!
पुनम श्रीवास्तव
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