नांच न जानें आंगन टेडा़

दीप्ती जब भी अपनी सहेलियौ मे बैठीहोती वह हमेशा गप्प मारती थी और कहती यह तो मैं बहुत आसानी से कर सकती हूँ परन्तु यहाँ सुबिधाऔ की कमी है इस लिए मै यहाँ तक जाने के लिए कोशिश नही करती।

एक बार स्कूल में बाद बिबाद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ । जब उसकी सहेलिया उससे उस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दबाब बनाने लगी तब उसने यह कहकर टाल दिया कि यहाँ मै यह प्रतियोगिता किसके साथ करूँगी मेरे बराबर कोई है ही नही इस लिए मुझे अपनी बेइज्जती नही करवानी।

 मतलब यह था कि वह हमेशा कोई न कोई बहाना बनाकर उससे दूर भाग जाती। जब वह  प्रतियोगिता समाप्त होजाती तब बहुत ही बडी़ गप्प मारती और सबके बीच में ऐसा नाटक करती कि सामने वाला कुछ बोलने लायक ही नही रहता था।

   कुछ दिन बाद उसकी शादी की बात चलने लगी। जब लड़के वाले उसको देखने आये घर पर पूरी तैयारी थी जब लड़के की माँ ने पूछा कि बेटी दीप्ती तुम घर का काम तो अच्छी तरह कर लेती हो।

दीप्ती बोली,” हाँ मम्मी जी मै सभी काम करलेती हूँ। जैसे खाना बनाना खाने में हलवा बहुत अच्छा बनाना आता है। और मै डान्स भी बहुत अच्छा करती हूँ हमेशा कालेज में फर्स्ट आती थी इसके अलावा और भी बहुत से काम उसने बताये।जिनको सुनकर उसकी सास ने उसे अपनी बहू बनाने का फैसला कर लिया।

जब दीप्ती बहू बनकर वहाँ पहुँची। दीप्ती की सास को उसकी बात याद थी इस लिए उसने दीप्ती को पहले दिन रसोई में हलवा बनाने का आर्डर दिया।

जब दीप्ती रसोई में गयी तब उसने वहाँ बहाना बनाते हुए कहा,” मम्मी जी हलवा बनेगा कैसे यह कढा़ई ही खराब है और यह चीनी नमकीन है। मैं ऐसी रसोई में भी कोई काम नहीं करसकती हूँ क्योकि आपकी रसोई मेरे काबिल नही है मै इसमें काम नहीं कर सकती हूँ।” इतना कहकर वह रसोई से बाहर चली गयी।

अब उसकी सास ने रात को डान्स का प्रोग्राम रखा था जब उसकी सास ने उसको डान्स करने को कहा तब वह सबकू बीच में आकर बोली मै यहाँ डान्स नही कर सकती क्यौकि मै स्टेज पर ही डान्स कर पाती हूँ।

अब उसकी सास की सहेलिया बोली,” प्रीति आपकी बहू को नाचना तो आता नहीं है वह यहाँ कितनी कमिया़ निकाल रही है। इसकी तो वही बात हुई कि। ” नांच न जानै आंगन टेडा़ ” ।

उसकी बात सुनकर सभी औरतै ताली बजाकर हसने लगी।

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