जीवन में आई आंधियों से घबराकर
शराब की बोतल को अपना गम का साथी मानकर
मित्र बना लेते हो तुम
बिना माचिस की तीली जलाए ही
अपने घर की खुशियों को आग लगा देते हो तुम
नचाती है बोतल नाचते हो तुम
बूंद-बूंद हलक में जाते ही होश गवां देते हो तुम
तिनका – तिनका जोड़कर घर बनाते हो तुम
जीवन में आई आंधियों से घबराकर
शराब की बोतल को होठो से लगा लेते हो
बहक जाते है कदम बहक जाते हो तुम
अपना समझकर कोई तुम्हें राह दिखाएं
उस पर भी भड़क जाते हो तुम
दवा मानकर जाम पर जाम पीते हो
असल मे दवा नहीं जहर पीते हो तुम
जानते हो वो मित्र नहीं शत्रु है तुम्हारा
क्यो विष पीकर लीवर को सड़ाते हो तुम
ऐसा क्यो करते हो तुम ?
अपने आप को शराब का अधीन बना लेते हो तुम
कभी नशेड़ी कभी शराबी कहलाते हो
अपने आप को और लोगो की नजरों मे खुद को कितना गिराओगे तुम
अरे! अब तो संभल जाओ
खुद को नशे से मुक्त करो तुम
तिनका – तिनका जोड़कर घर बनाया
जीवन मे आई आँधियों से घबराकर नही
नशे से वशीभूत होकर नहीं
अपनी खूबसूरत सी जिंदगी को हिम्मत से सशक्त होकर सँवारो तुम
शिल्पा मोदी✍️🙏