माता हो घर घर स्थापित,
मां अंबे हो रही हर्षित…
नव दिन नव नव रूप  लिए है माता,
घर आंगन हो शोभित शोभित..
सज गये सब मंदिर सारे,
ढोल मंजीरे शंख पुकारे…
पूजा की जो थाल है सजी,
ज्योति कलश जले माता की…
चारों तरफ पंडाल सजे हैं,
हवन ,भजन ,कीर्तन चले हैं…
खूब लगती प्यारी मां की मूर्ति,
कष्ट हरणी ,पालन करणी…
तेरे चरणों में शत शत नमन करें हम,
जीवन अपना साकार करें हम…
मंजू  रात्रे  ( कर्नाटक )
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