हे! शिवशंकर भोलेनाथ निराधार के आधार तुम्हीं
हे!नीलकंठ महादेव करो भक्तों का उद्धार तुम्हीं
शीशनवाये करे यहीं प्रार्थना बारम्बार हम प्रभु
हे!जगतपालनकर्ता भवसागर से कर दो पार तुम्हीं।
त्रिदेवों में देव,देवों में महादेव, डमरू त्रिशूलधारी
नृत्य, प्रलय, योग, ध्यान के देवता रूद्र त्रिनेत्रधारी
योगी स्वरुप जटाएँ धारण करे गंगा का वेग
अनादि अनंतकाल तक रहे सदा सृष्टि के संचारी।
हे!अंतर्यामी तेरी महिमा के करते गुणगान
हे!महाकाल तुम्हीं भविष्य दृष्टि का दो ज्ञान
मैं मूरख मुझ पर कृपा अपनी बरसाओ
हे!उमापति मुझ दे दो नवचेतना का वरदान।
🙏🏻जय महाकाल 🙏🏻
स्वरचित
शैली भागवत ‘आस’