सर्वप्रथम वंदन है उनको
जिनके कारण यह दिन आया है
नमन है वीर जवानों को,
गणतंत्र दिवस यह आया है।।
यह केवल तारीख नही
नियम है संविधान है।
मान है सम्मान है।
जो कोहिनूर को खो कर हमने पायी है।
कितने वीर शहीद हुए तो यह शुभ दिन आया है।
नमन है वीर शहीदों को जिन्होंने ये दिन दिखलाया है।।
आज धरा पर जो यह पुष्पों की वर्षा हो पाईं है।
मिट्टी में मिली हुई शहीदों के रक्त की लाली है।।
वीर रस के गान से समस्त धरा थर्राई है।
मैं करूं, वंदन उनका जिन्होंने जान गवाई है।
सोच कर भी जो थर्रा जाए कलेजा।
यमराज भी कांप उठे सुनकर,
धारा की आन बचाने को
ऐसी यातनाएं उन्होंने पाई है।
आजादी दिलवाई है सीने पर गोली खाई है।
सोचो कितने दर्द में होंगे देख तुम्हारे कर्म को,
क्या इसीलिए उन्होंने आजादी दिलवाई है।।
नहीं सुरक्षित यहां अपने ही अपनों से हैं।
नहीं सुरक्षित मां बहन बेटी की अस्मत यहां।
कांप नहीं उठती होगी क्या? उनका कलेजा वहां?
मिटा कर वजूद अपना मणी तुम्हें जो सौंप गए।
बचाकर देश दुश्मनों से,
राष्ट्रधर्म का मूलमंत्र समझा गए।।
दुश्मनों के हलक में हाथ डालकर
छीन कर लाए हैं अपनी धरती की अस्मत,
गर बन नहीं सकते हो माँ बहन बेटी के रक्षक।
क्यों बने हुए हो इंसान ही इंसानियत के भक्षक।
याद कर उन वीर को कुछ अपना योगदान दो।
बन सकते हो तुम भी रक्षक मन में यह ठान लो।
देखकर अन्याय धरा पर ख़ामोश अब नहीं रहो।