एक नन्ही कली आस्मां से आईं
मग्न हो भाई बहनों में खुशियां पाई
समय का ऐसा भयानक रूप देखा
ज्यादा कुछ समझ कहां वो पाई
बड़ी थी छोटी उम्र में बड़ी जिम्मेदारी उठाई
रख अपने को पिता की जगह करने लगी कमाई
करती क्या काम कुछ ना था गीतों की दुनिया में आई
आवाज में उसकी लगता जैसे सरस्वती खुद उतर आई
एक के बाद एक उसने कर दी गीतों की अगुवाई
आएगा आने वाला से सफ़लता का बिगुल बजाई
ए मेरे वतन के लोगों से जवाहर लाल जी की आंख भर आई
सात दशक तक जिनके गीतों ने धाक जमाई
हुनर खटका आंखो में कर दी धीमे जहर से रुसवाई
हार फिर भी मानी नहीं ऐसी हिम्मत थी पाई
हर आवाज में लाखों लोगों के दिलों में छाई
अनगिनत सम्मान खुद छोटे थे जिनके सामने
ऐसी महान स्वर कोकिला ने आज देह छुड़ाई
आत्मा की आज उस परमात्मा से होगी मिलाई
शत शत नमन स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी को 💐💐🙏🙏🙏
© रेणु सिंह राधे
कोटा राजस्थान