है नमन तुम्हें वीरांगना,
है प्रणाम तुम्हें वीरांगना,
खो देता है देश ज़ब एक फ़ौजी,
लौट कर आता है ज़ब वो तिरंगे में शान से,
खोया तो तुमने भी होता है,
सुकून अपने घर आंगन का,
सिन्दूर मिट गया सुहागन का,
फिर भी लुटा देती हो तुम सर्वस्व देश पर,
फिर भी कभी हार नहीं मानती,
फिर से हो जाती हो तैयार
वही अदम्य साहस लिए
वीर से शक्ति लिए,
अटूट देशभक्ति का भाव लिए,
नमन तुम्हें वीरांगना
बहते तो होंगे आँसू तुम्हारे
क्यों छोड़ गए अधर में,
तुम थे खेवनहार,
आधे राह छूटी नैया,
चाहे आये कितनी मुश्किल
लेकिन रोना नहीं है हल,
लहराया परचम शौर्य की गाथा लिख
तिरंगे का मान बढ़ाया,
हे वीरांगना तुम्हें शत शत नमन
देश ने खोया एक सैनिक
तुमने तो अपना सर्वस्व खोया,
फिर भी आह नहीं मुख पर,
नमन तुम्हें हे वीरांगना
डट कर ख़डी हो फिर से
देशभक्ति की राह में…।
निकेता पाहुजा
रुद्रपुर उत्तराखंड