जिंदगी में यह नहीं करती वादा
 कि मैं ही वह आखरी शख्स हूं
 जिससे लोग बेपनाह मोहब्बत करेंगे
 पर हां यह जरूर है कि लोगों के दिल पर कब्जा है मेरा
 पर ऐसा भी नहीं कि नफरत के कीड़े नहीं है मेरे पीछे 
पर उनकी तादाद थोड़ी है 
पर यह भी सही है कि फसल को सड़ाने के लिए 
दिलों को जलाने के लिए थोड़ी सी चिंगारी
 काफी होती है किसी का आशियाना जलाने के लिए,
लेकिन उन नफरत के कीड़ों को सीने से लगाकर
 चलती रहूंगी तो कहीं ना कहीं बाहर आ जाएगी
 वह जहर में लिपटी चाशनी
मुझ में ,मेरे अल्फाजों में, मेरी तबीयत में 
और जो मीठापन, जो खूबसूरती जो दिलकशी
छुपी है मेरे अल्फाजों में शायद बिगड़ जाए उसका स्वाद
इसलिए रहना दूर नफरत के कीड़ों से 
 जो  रखेंगे नीयत करने की तुम्हें बर्बाद
 वह लहूलुहान करेंगे, पीठ पीछे तुम्हें बदनाम करेंगे 
और सामने तुम्हारे दोस्त होने का नाम करेंगे
 सलाम ऐसे दो मुंहे दोस्तों को ।
 स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा
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