नजरे क्यों हमसे चुरा तुम रहे हो,
सैहरा क्यों सर पर सजाए हुए होग़मों के यह बादल उतर जायेंगे ,
कभी न कभी हम मिल जायेंगे,संग सपने सजाकर मिटाने चले हो,
जीते जी हमें तुम दफनाने चले हो,वादों को अपने दोहराओ जरा,
जो कहा था उसे तो निभाओ जराजमाना जो रूठे तो रूठे सनम,
रिश्ता हमारा तुम्हारा ना टूटे सनमवीरान कर दुनिया मेरी वह घर बसाने चले हैं,
इश्क़ ना है मुक़म्मल मेरा ये बताने चले हैंऐ रब्बा मेरे क्या से क्या हो गया,
ना जाने क्यों सनम मेरा बेवफा़ हो गयातुम ना मिले कोई गम तो नहीं,
तेरी यादें मेरे पास कम तो नहीं ,खुदा को भी ख़ुद से शिकायत होगी,
उठेगा जब जनाजा मेरा तो कयामत होगी।तेरी खुशियों पे अश्क ना बहाऊँगी मैं,
इश्क़ होता है क्या तुम्हें बताऊंगी मैंइस जमाने को अब अलविदा है मेरी,
खुश रहे तु यही दुआ है मेरीगौरी तिवारी भागलपुर बिहार
