ध्रुवतारा सा बनकर चमकुंमैं सारे आसमानी सितारों में,अलग ही पहचान बने मेरी,जैसे महके फूल बहारों में।बीड़ बड़ी है दुनिया में यूँ तो,पर अलग बनूँ मैं हज़ारों में,बुराइयों से दूर रहूँ सदा बस,निर्मल बनूँ सब सितारों में।पूजा पीहूSpread the love Post navigation इंकलाब जिंदाबाद; भगत सिंह भाग २७एक नारी सब पर भारी