क्यों पुती हुई है तेरे चेहरे पर
अंजाने डर की नीली स्याही
क्यों खौफ खाती है इतना
क्यों हंसने की है तुझे मनाही
ऋद्धि का चेहरा अच्युत को देखकर डर से पीला पड़ जाता है उसकी धारदार चाकू से भी भेदती निगाहें शरीर के अंदर तक घुसती हुई सी महसूस होने लगी थी ऐसा लग रहा था मानो उसकी धड़कनें बंद हो जाएगी। अच्युत  धीरे धीरे आगे बढ़ता है ऋद्धि और डर जाती है उसे लगता है कि अच्युत का कहर उस पर गिरने ही वाला है  लेकिन शायद अभी वो ऐसा कुछ नहीं करेंगे ऋद्धि जानती है कि अच्युत रिनी से बहुत प्यार करते हैं वो रिनी के सामने ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिससे रिनी अच्युत को गलत समझे क्योंकि रिनी ऋद्धि से बहुत प्यार करती है ।
अच्युत  मुस्कराते हुए ऋद्धि से कहता है 
“ऋद्धि जी, मुझे भूख लगी है क्या आप कृपा करके मुझे खाना देंगी? या फिर केवल बिस्तर पर आराम फरमाएंगी आप? ऑफिस से थका हुआ आया हूं थोड़ी सी तो कदर करिए अपने पति की।”
ऋद्धि अच्युत की बात सुनकर तुरंत ही बिस्तर से उतरी और जल्दी से कमरे से बाहर की भागी, ऐसा लगा मानो कैद से छूटी हो । रिनी हैरानी से अपनी भाभी को देखती रह गई। 
“भैया, भाभी ऐसी क्यों हैं? पहले तो कितना हंसती मुस्कुराती थी लेकिन अब तो लगता है जैसे वो हंसना ही भूल गई है कहीं आप उन्हें कुछ कहते तो नहीं हैं , उन्हें तकलीफ तो नहीं देते हैं आप?” रिनी अपनी आंखों में आंसू भरकर बोली।
अच्युत एक बार रिनी की बात सुनकर एक बार को सकपका गया लेकिन जल्दी ही उसने खुद को संभाल लिया और रिनी को प्यार से गले लगाते हुए कहा
“नहीं मेरी भोली भाली बहना, ऐसा कुछ नहीं है, मैं तेरी भाभी को बहुत प्यार करता हूं, मैं क्यों उसको कुछ कहूंगा, असल में अभी तक तेरा कोई भतीजा भतीजी नहीं है ना इसलिए वो परेशान रहती है , बस इतनी सी बात है और कुछ नहीं।”
रिनी को अपने भाई की बातों पर विश्वास आ गया वैसे भी वो अपने भैया भाभी से बहुत प्यार करती थी और इन दोनों को हमेशा खुश देखना चाहती थी।
ऋद्धि तब तक सबके लिए खाना ले आई सबलोगों ने एक साथ खाना खाया बीच बीच में हंसी मजाक भी चलता रहता जिसमें ऋद्धि जबरदस्ती मुस्कुरा देती। खाना खा कर रिनी अपने कमरे में चली गई और  ऋद्धि अपने कमरे में । अच्युत कुछ समय के लिए बाहर चला गया।
ऋद्धि सोने के लिए बिस्तर ठीक कर रही थी कि तभी अच्युत ने पीछे से आकर उसके बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर एक झटका दिया और ऋद्धि दीवाल से टकरा गई , अच्युत ने शराब पी हुई थी वो लड़खड़ा रहा था 
“तुझे बहुत शौक है ना खिड़की से बाहर झांकने का, अपनी सूरत सबको दिखाने का, तुझे बारिश में भीगना अच्छा लगता है ना, अपना भीगा हुआ शरीर सबको दिखाना अच्छा लगता है ना मेरी इज्जत की तो तुझे कोई परवाह है नहीं, चल मैं तेरी ये इच्छा भी पूरी कर देता हूं ।”
इतना कहकर अच्युत उसे कमरे में ही अटैच बाथरूम के अंदर ले जाता है और शॉवर के नीचे खड़ा कर देता है और ऋद्धि शॉवर के नीचे भीगती रहती है , तीन घंटे लगातार भीगने से ऋद्धि का शरीर ठंड से कांप रहा था लेकिन अच्युत को जरा भी दया नहीं आई।उसने ऋद्धि को उसी गीले कपड़ों में बेड पर लेटने का ऑर्डर दिया। ऋद्धि ठंड और डर से कांप रही थी अच्युत के हाथ पैर जोड़ रही थी लेकिन अच्युत पर कोई फर्क नहीं पड़ा वो उसे कमरे में बन्द करके बाहर चला गया और सारे बिस्तर अपने साथ ले गया, मजबूर होकर ऋद्धि को उन्हीं गीले कपड़ों में रात काटनी पड़ी, उसके दांत ठंड की वजह से किटकिटा रहे थे। वो अपनी किस्मत पर आंसू बहा रही थी , आयरन लेडी के नाम से अपने कॉलेज में मशहूर ऋद्धि आज  कितनी मजबूर हो गई थी वो, सुबह तक ऋद्धि को बहुत तेज  बुखार हो गया था,  अच्युत का कहीं पता नहीं था। शायद वो ऑफिस निकल गया था लेकिन अभी तो सिर्फ सात बजे थे इतनी जल्दी ऑफिस कैसे जा सकता था वो।
रिनी उसके कमरे में आई , उसने देखा कि भाभी बुखार में तप रही है तब उसने जल्दी जल्दी डॉक्टर को फोन लगाया 
और ऋद्धि का चेक अप कराया।
“रिनी बेटा, ऐसी लापरवाही नही करना  चाहिए , लगता है तुम्हारी भाभी कुछ ज्यादा ही स्ट्रेस ले रही हैं। इसलिए इनको बुखार हो गया, मैं ये दवा लिख रहा हूं,। इसे मंगवा लेना और इनको खुश रखने की पूरी कोशिश करो ।”
रिनी-“जी डॉक्टर अंकल, मैं पूरा ख्याल रखूंगी भाभी का, आप चिंता न करें,।
डॉक्टर साहब चले जाते हैं, रिनी सोच में पड़ जाती है उसे विश्वास हो जाता है कि भाभी उससे कुछ छुपा रही है लेकिन क्या ? 
ऋद्धि इंजेक्शन के असर से गहरी नींद में सो रही थी रिनी ने भाभी की अलमारी खोली उसमें डायरी रखी थी जो लॉक थी, ढूंढने पर डायरी की चाभी भी मिल गई ,अब रिनी ने भाभी की डायरी पढ़ना शुरू किया। जैसे जैसे रिनी डायरी पढ़ती जा रही थी उसकी आंखों से बरबस आंसू निकल रहे थे ।
क्या लिखा था डायरी में? आइए जानते हैं अगले भाग में, तब तक पढ़ते रहिए”, अनदेखा मीत”
संगीता शर्मा “प्रिया”
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